अच्छे संबंधों के लिए विश्वास और संवेदनशीलता का ध्यान रखें चीन और तुर्किये
भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बाद अपनी पहली कूटनीतिक प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने बृहस्पतिवार को चीन और तुर्किये को याद दिलाया कि संबंधों को प्रभावी ढंग से चलाने के लिए विश्वास और संवेदनशीलता को ध्यान में रखा जाना चाहिए। चीन और तुर्किये ने संघर्ष में पाकिस्तान का समर्थन किया था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से जब पूछा गया कि क्या भारत ने ऑपरेशन सिंदूर (7-10 मई) के दौरान चीन को कोई संदेश दिया था तो उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने 10 मई को सीमा मुद्दे पर चीनी विदेश मंत्री और विशेष प्रतिनिधि से बात की थी।
जायसवाल ने कहा, 'एनएसए ने पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख से अवगत कराया... चीनी पक्ष जानता है कि आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता भारत-चीन संबंधों का आधार हैं।' हालांकि, जायसवाल ने स्पष्ट रूप से इसका उल्लेख नहीं किया, लेकिन यह टिप्पणी रणनीतिक मामलों के समुदाय के भीतर के आकलन की ओर इशारा करती प्रतीत हुई, जिसमें कहा गया था कि चीन ने भारतीय संपत्तियों पर हमले शुरू करने के लिए पाकिस्तान को रियल टाइम सेटेलाइट इमेजरी प्रदान की थी। इसके अलावा, मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन ने पाकिस्तान को अपना पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट, जे-20 देने की पेशकश की।
तुर्किये-पाकिस्तान संबंधों पर जायसवाल ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि तुर्किये पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन बंद करने और दशकों से उसके द्वारा पोषित आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र के खिलाफ विश्वसनीय कार्रवाई करने का आग्रह करेगा। उन्होंने तुर्किये को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि संबंध एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बनाए जाते हैं। तुर्किये ने पाकिस्तान को रसद सहायता प्रदान की थी। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, भारत के साथ चार दिनों के संघर्ष के दौरान 350 से अधिक ड्रोन और तुर्किये के सैनिकों ने पाकिस्तान की सहायता की। इस सहायता में परिचालन समन्वय और ड्रोन युद्ध रणनीति शामिल थी, जो संघर्ष में तुर्किये की प्रत्यक्ष सैन्य भूमिका को दर्शाता है।
भारत ने 7 मई को पाकिस्तानी क्षेत्र में अंदर तक आतंकी शिविरों को निशाना बनाया था। इसके बाद पाकिस्तान ने ड्रोन हमले शुरू किए। पाकिस्तान ने जवाबी हमलों में बायरकटर टीबी2 और वाईआईएचए ड्रोन तैनात किए, जिनका इस्तेमाल निगरानी, लक्ष्य पहचानने और कुछ मामलों में भारतीय अग्रिम चौकियों और सैन्य काफिलों के खिलाफ हमलों के लिए किया गया।
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पाक-तुर्किये का रक्षा सहयोग बढ़ा
हाल के वर्षों में पाकिस्तान के साथ तुर्किये का रक्षा सहयोग बढ़ा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 और 2024 के बीच तुर्किये के सभी हथियारों के निर्यात का 10 प्रतिशत पाकिस्तान को भेजा गया। इसी अवधि के दौरान, चीन के सभी हथियारों के निर्यात का 63 प्रतिशत पाकिस्तान को गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अमेरिका, फ्रांस और रूस के बाद वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक है।