Cheque Bounce Case : राम गोपाल वर्मा को 6 साल बाद मिली राहत, चेक बाउंस केस में कोर्ट ने किय बरी
Cheque Bounce Case : मुंबई की एक अदालत ने फिल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा को 2018 के चेक बाउंस के एक मामले में बरी कर दिया है। एक लोक अदालत के माध्यम से उनके और शिकायतकर्ता कंपनी के बीच मामला सुलझ गया था। कंपनी ने 2018 में वर्मा की कंपनी के खिलाफ चेक बाउंस की शिकायत दर्ज कराई थी।
अदालत के आदेश के अनुसार, वर्मा को इस महीने की शुरुआत में ‘‘समझौता ज्ञापन'' के आधार पर बरी कर दिया गया है। समझौता ज्ञापन किसी कानूनी विवाद में पक्षों के बीच एक लिखित समझौता होता है जिसमें उनके समझौते की शर्तें बताई जाती हैं। यह समझौता ज्ञापन अदालत में दर्ज किया जाता है और न्यायाधीश द्वारा उस पर निर्णय लिया जाता है। इससे पहले, अंधेरी स्थित एक न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 21 जनवरी को वर्मा को परक्राम्य लिखत अधिनियम के तहत दोषी पाया था।
मजिस्ट्रेट ने उन्हें तीन महीने की कैद की सजा सुनाई और तीन महीने के भीतर शिकायतकर्ता को 3,72,219 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया था। मजिस्ट्रेट के फैसले से व्यथित होकर वर्मा ने सत्र अदालत (दिंडोशी) में आपराधिक अपील दायर की थी। हालांकि, पिछली सुनवाई में फिल्म निर्माता और शिकायतकर्ता कंपनी, दोनों ने अदालत को बताया कि उन्होंने लोक अदालत के माध्यम से मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने का फैसला किया है।
शिकायतकर्ता के वकील राजेश कुमार पटेल के अनुसार, कंपनी कई सालों से हार्ड डिस्क की आपूर्ति कर रही है। वर्मा के अनुरोध पर कंपनी ने फरवरी और मार्च 2018 के बीच हार्ड डिस्क उपलब्ध कराईं और 2,38,220 रुपये के बिल बनाए। वर्मा ने एक जून, 2018 को एक चेक जारी किया था, लेकिन अपर्याप्त धनराशि के कारण वह बाउंस हो गया।
सूचना मिलने पर उनकी कंपनी ने उसी राशि का दूसरा चेक जारी किया और वह भी बाउंस हो गया क्योंकि चेक जारीकर्ता ने भुगतान रोक दिया था। कोई और विकल्प न होने पर कंपनी ने कानूनी कार्रवाई की। वर्मा को ‘‘सत्या'', ‘‘रंगीला'', ‘‘कंपनी'' और ‘‘सरकार'' जैसी फिल्मों के निर्देशन के लिए जाना जाता है।