Chashoti Cloudburst : बादल फटा, आस टूट गई; किश्तवाड़ की विधवा मां का लापता बेटे के लौटने का इंतजार
Chashoti Cloudburst : जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के एक सुदूरवर्ती गांव में बादल फटने से हुई तबाही के सात दिन बाद भी बचाव दल मलबे में दबे लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं। एक विधवा मां के लिए आशा ही उसकी एकमात्र ताकत है, क्योंकि वह अपने इकलौते बेटे, बहू और नाबालिग पोते की खबर का इंतजार कर रही है, जो 14 अगस्त को मचैल माता मंदिर के रास्ते में पड़ने वाले गांव चशोती में हुई त्रासदी में लापता हो गए थे।
अब तक 65 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 167 लोगों को बचा लिया गया है, जबकि बादल फटने के बाद उनके परिवारों द्वारा लापता बताए गए 39 लोगों के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान जारी है। आपदा स्थल से लगभग 300 किलोमीटर दूर, जम्मू शहर के बाहरी इलाके में डिगियाना में अपने साधारण घर में, बुजुर्ग महिला अपनी चार विवाहित बेटियों के साथ बैठी थी, और उन्हें उनके लापता परिवार के सदस्यों- बेटे साहिल शर्मा (33), उसकी पत्नी लवली (32) और उनके 11-वर्षीय बेटे राघव- के बारे में खबर का बेसब्री से इंतजार है।
प्रत्येक बीतते दिन के साथ महिलाओं की चिंता बढ़ती जा रही है, फिर भी उन्हें आस है कि कोई चमत्कार अब भी हो सकता है। बुजुर्ग महिला की बेटियों में से एक सुमन ने कहा, “मेरी मां किसी से बात करने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने कुछ खाया नहीं है और बस यही प्रार्थना कर रही हैं कि वे सुरक्षित लौट आएं। हमें उम्मीद है कि बचावकर्मी उन्हें ज़िंदा ढूंढ लेंगे।” उन्होंने बताया कि उनका छोटा भाई और उसका परिवार यात्रा पर गए हुए थे और घटना से कुछ मिनट पहले आखिरी कॉल करने के बाद साहिल और उसकी पत्नी दोनों के मोबाइल फोन बंद हो गए थे।
सुमन ने कहा, “मौसम के पूर्वानुमान को देखते हुए मैं उन्हें जाने की अनुमति नहीं देती। यात्रा क्यों नहीं रोकी गई? हमने डेढ़ साल पहले अपने पिता को खो दिया था और हम अभी तक उस त्रासदी से उबर नहीं पाए हैं।” उन्होंने बताया कि रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर उन्होंने अपने भाई से बात की थी और उन्हें बताया था कि अपनी सास के निधन के कारण वह इस बार घर नहीं आ रही है। उन्होंने रुंधे स्वर में अपने आंसू पोंछते हुए कहा, “इसके बजाय, मैंने उनसे वादा किया था कि मैं जन्माष्टमी पर उनसे मिलने आऊंगी”।
बचाव अभियान की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि लापता लोगों की तलाश तब तक नहीं रोकी जाएगी जब तक कि आखिरी व्यक्ति का पता नहीं चल जाता, लेकिन इंतजार कर रहे परिवार के लिए, किसी भी खबर का न मिलना असहनीय हो गया है। सुमन ने कहा, “हमारे लिए उम्मीद ही एकमात्र ताकत है।”
साहिल के बहनोई ने बताया कि वह तीन अन्य रिश्तेदारों के साथ बादल फटने के अगले दिन चशोती गए थे और वहां उनकी मुलाकात एक अन्य रिश्तेदार से हुई, जिसने पुष्टि की कि साहिल अपनी पत्नी और बेटे के साथ पुल के पास थे, जब बादल फटने के कारण अचानक बाढ़ आ गई। उन्होंने कहा, “हमें पता चला कि कई लोग बाढ़ के पानी में बह गए हैं। हमने मौके पर मौजूद अधिकारियों से मुलाकात की और हमें अपने लापता परिवार के सदस्यों का पता लगाने के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया गया।”