नयी दिल्ली, 6 अगस्त (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने जजों को धमकी और अपशब्दों वाले संदेश मिलने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) और सीबीआई न्यायपालिका की ‘बिल्कुल मदद नहीं’ कर रही हैं और एक न्यायिक अधिकारी को ऐसी शिकायत करने की भी स्वतंत्रता नहीं है। चीफ जस्टिस एनवी रमण और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा,‘एक या दो जगहों पर, अदालत ने सीबीआई जांच का आदेश दिया। यह कहते हुए बहुत दुख हो रहा है कि सीबीआई ने एक साल से अधिक समय में कुछ नहीं किया है।’ पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि ऐसे कई मामले हैं जिनमें गैंगस्टर और हाई-प्रोफाइल व्यक्ति शामिल हैं और यदि उन्हें अदालत से उम्मीद के अनुरूप फैसला नहीं मिलता तो वे न्यायपालिका को छवि धूमिल करना शुरू कर देते हैं।
पीठ ने कहा,‘दुर्भाग्य से यह देश में विकसित एक नया चलन है। जज को शिकायत करने तक की स्वतंत्रता नहीं है। ऐसी स्थिति उत्पन्न की जाती है।’ पीठ धनबाद में एक जज की कथित तौर पर वाहन से कुचलने से मौत की हालिया घटना के मद्देनजर अदालतों और जजों की सुरक्षा के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिये मामले की सुनवाई कर रही थी। झारखंड सरकार द्वारा यह सूचित किए जाने के बाद पीठ ने सीबीआई को नोटिस जारी किया कि धनबाद में जज की मौत मामले की जांच जांच एजेंसी को सौंप दी गई है। शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है जिसमें बताया जाए कि वे न्यायिक अधिकारियों को क्या सुरक्षा मुहैया करा रहे हैं। पीठ ने कहा, ‘हम सोमवार (9 अगस्त) को झारखंड मामले की सुनवाई करेंगे। हम सीबीआई को नोटिस जारी कर रहे हैं।’