सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए ठीक से लागू हो कैशलेस योजना : सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने केंद्र को अगस्त 2025 के अंत तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें योजना के क्रियान्वयन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई हो। क्रियान्वयन रिपोर्ट में इस योजना के तहत कैशलेस उपचार प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की संख्या शामिल होगी। गत पांच मई से लागू योजना के अनुसार, ‘किसी भी सड़क पर मोटर वाहन दुर्घटना का शिकार होने वाला कोई भी व्यक्ति इस योजना के प्रावधानों के अनुसार कैशलेस उपचार का हकदार होगा।' शीर्ष अदालत ने मोटर दुर्घटना पीड़ितों के इलाज के लिए कैशलेस योजना तैयार करने में देरी को लेकर 28 अप्रैल को केंद्र की खिंचाई की थी और कहा था कि उसके आठ जनवरी के आदेश के बावजूद, केंद्र ने न तो निर्देश का पालन किया और न ही समय बढ़ाने की मांग की।
शीर्ष अदालत ने अधिकारियों को उनके ‘लापरवाह' रवैये के लिए फटकार लगाई और एक तरफ राजमार्गों के निर्माण और दूसरी तरफ ‘गोल्डन ऑवर' उपचार जैसी सुविधाओं की कमी के कारण होने वाली मौतों की ओर इशारा किया। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2(12-ए) के तहत ‘गोल्डन ऑवर' दुर्घटना के बाद के एक घंटे की अवधि को संदर्भित करता है, जिसके तहत समय पर चिकित्सा उपलब्ध कराने से मृत्यु को रोका जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कानून के तहत अनिवार्य ‘गोल्डन ऑवर' में मोटर दुर्घटना पीड़ितों के कैशलेस चिकित्सा उपचार के लिए योजना तैयार करने का आठ जनवरी को केंद्र को निर्देश दिया था।