Cars on Track कश्मीर घाटी में पहली बार रेल से पहुंची मारुति सुज़ुकी की कारें
Cars on Track कश्मीर घाटी में आज एक नया इतिहास लिखा गया। पहली बार घाटी में किसी कंपनी की कारें रेलगाड़ी से पहुँचीं और यह उपलब्धि हासिल की मारुति सुज़ुकी इंडिया लिमिटेड ने। अब तक कश्मीर में कारें सड़क मार्ग...
Cars on Track कश्मीर घाटी में आज एक नया इतिहास लिखा गया। पहली बार घाटी में किसी कंपनी की कारें रेलगाड़ी से पहुँचीं और यह उपलब्धि हासिल की मारुति सुज़ुकी इंडिया लिमिटेड ने। अब तक कश्मीर में कारें सड़क मार्ग से ही पहुंचती थीं, लेकिन अब अनंतनाग रेलवे टर्मिनल पर जब पहली खेप उतरी तो यह घाटी की बदलती तस्वीर का प्रतीक बन गया।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस अवसर पर कहा, ‘जम्मू-कश्मीर रेलवे लाइन अब केवल यात्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी बदलाव का जरिया है। घाटी से पहले सेब रेल से बाहर गए और अब गाड़ियां रेल से घाटी के भीतर पहुँची हैं। यह कनेक्टिविटी लोगों की जिंदगी बदलने वाली है।’
मारुति सुज़ुकी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी हिसाशी ताकेउचि ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुनियादी ढांचा नीतियों का नतीजा बताते हुए कहा, ‘रेल डिस्पैच हमारी लॉजिस्टिक रणनीति का अहम हिस्सा है। चिनाब का आर्च ब्रिज न सिर्फ इंजीनियरिंग की मिसाल है, बल्कि हमारे ग्राहकों तक पहुंचने की गति और भरोसे को भी मजबूत करता है।’
मानेसर से अनंतनाग तक की यात्रा
ब्रेज़ा, डिज़ायर, वैगनआर और एस-प्रेसो जैसी 100 से अधिक गाड़ियां मारुति सुज़ुकी के मानेसर संयंत्र से रवाना हुईं।
नई इन-प्लांट रेलवे साइडिंग से निकली यह रेलगाड़ी 850 किलोमीटर से अधिक का सफर तय करके अनंतनाग पहुँची।
रास्ते में इसने चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊँचे रेलवे आर्च ब्रिज को पार किया, जो इस साल की शुरुआत में खोला गया था।
हरित परिवहन की ओर
मारुति सुज़ुकी 2013 में AFTO लाइसेंस हासिल करने वाली देश की पहली ऑटोमोबाइल कंपनी बनी थी।
2014-15 से अब तक कंपनी ने रेलवे के जरिये 26 लाख से अधिक गाड़ियां भेजी हैं।
इससे न सिर्फ कार्बन उत्सर्जन घटा, बल्कि सड़कों पर ट्रैफिक दबाव भी कम हुआ।
कंपनी मानेसर और गुजरात संयंत्रों में इन-प्लांट रेलवे साइडिंग्स चलाती है, जिससे सीधे उत्पादन केंद्र से ही वाहनों का देशभर में आवागमन संभव है।
घाटी के लिए नयी सुबह
अनंतनाग रेलवे टर्मिनल पर गाड़ियां उतरने का यह दृश्य सिर्फ एक कारोबारी उपलब्धि नहीं, बल्कि कश्मीर के लोगों के लिए विकास और सुविधा की नई सुबह है। अब घाटी में कार खरीदने वालों को लंबा इंतजार और ऊँचे परिवहन खर्च का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। रेल की पटरियों पर दौड़ती इन कारों ने कश्मीर को देश की मुख्यधारा से जोड़ने की कहानी और मजबूत कर दी है।