नयी दिल्ली, 15 जुलाई (एजेंसी)
संसद परिसर का इस्तेमाल धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन या धार्मिक समारोहों के लिये नहीं किया जा सकता। राज्यसभा सचिवालय के बुलेटिन में यह बात कही गई है। विपक्षी दलों ने शुक्रवार को इसकी आलोचना की। हालांकि, राज्यसभा अधिकारियों ने कहा कि सत्र के पहले इस तरह के बुलेटिन जारी किया जाना ‘नियमित’ प्रक्रिया का हिस्सा है। इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि अभी लोकसभा से कोई नया बुलेटिन जारी नहीं किया गया है और इस तरह का बुलेटिन जारी करने की प्रक्रिया लंबे समय से जारी है। राज्यसभा सचिवालय ने भी कहा है कि इस तरह का बुलेटिन या परिपत्र संसद के प्रत्येक सत्र से पहले आम तौर पर जारी किया जाता है। राज्यसभा सचिवालय ने वर्ष 2013 में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के समय जारी ऐसे ही परिपत्र की प्रति साझा करते हुए कहा कि ऐसे परिपत्र कई वर्षों से जारी किये जा रहे हैं।
राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी की ओर से जारी बुलेटिन में कहा गया है कि सदस्य संसद भवन परिसर का इस्तेमाल धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन या धार्मिक समारोहों के लिये नहीं कर सकते। कांग्रेस महासचिव एवं राज्यसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, ‘विषगुरु का ताजा प्रहार…धरना मना है।’ माकपा नेता सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया, ‘जितनी निकम्मी सरकार, उतनी ही डरपोक। लोकतंत्र का मखौल उड़ाया जा रहा है, इस तरह के तानाशाही आदेश निकाल कर। संसद भवन परिसर में धरना देना सांसदों का एक राजनीतिक अधिकार है, जिसका हनन हो रहा है।’ राजद के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने ट्वीट किया, ‘ये संसदीय लोकतंत्र को कब्रगाह तक ले जाने की कोशिश हो रही है …हमारी मांग है कि लोकसभा स्पीकर और चेयरमैन तुरंत इसमें हस्तक्षेप करें।’ शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया, ‘क्या अब वे संसद में पूछे जाने वाले प्रश्नों को लेकर भी ऐसा करेंगे? आशा करती हूं कि यह पूछना असंसदीय प्रश्न नहीं है।’