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कैग का बड़ा कदम : देशभर में खर्च का हिसाब अब एक जैसा

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने केंद्र और सभी राज्यों को सरकारी खर्चों को दर्ज करने के लिए एक समान वर्गीकरण व्यवस्था अपनाने का निर्देश दिया है। इस पहल का उद्देश्य वित्त वर्ष 2027-28 तक पूरे देश में लेखांकन और...

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नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने केंद्र और सभी राज्यों को सरकारी खर्चों को दर्ज करने के लिए एक समान वर्गीकरण व्यवस्था अपनाने का निर्देश दिया है। इस पहल का उद्देश्य वित्त वर्ष 2027-28 तक पूरे देश में लेखांकन और लेखा परीक्षा प्रणाली को एकरूप बनाना है, ताकि सरकारी व्यय से जुड़े आंकड़ों की तुलना और विश्लेषण अधिक स्पष्ट और पारदर्शी तरीके से हो सके।कैग का मानना है कि अभी विभिन्न राज्यों और केंद्र सरकार के बीच व्यय मदों को दिखाने में काफी अंतर है, जिससे न केवल तुलना मुश्किल होती है, बल्कि सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन में अस्पष्टता भी बनी रहती है। उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक और जीएएसएबी के चेयरपर्सन जयंत सिन्हा ने कहा कि अलग-अलग राज्यों में व्यय की श्रेणियों में भिन्नता लंबे समय से चर्चा का विषय था।

इसीलिए कैग ने एक सामान्य व्यय मदों की सूची अधिसूचित की है, जिसे केंद्र और सभी राज्यों में लागू किया जाएगा। इस वर्गीकरण प्रणाली के निर्माण के लिए कैग ने केंद्र और कुछ राज्यों के अधिकारियों, लेखा महानियंत्रक तथा रक्षा लेखा महानियंत्रक के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक विशेष कार्यसमूह बनाया।

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इस समूह की सिफारिशों और वित्त मंत्रालय के साथ हुई चर्चाओं के बाद ही इस एकरूप व्यवस्था को लागू करने का निर्णय लिया गया। कैग ने कहा है कि नई मानकीकृत सूची को सभी राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा तैयारी की स्थिति के अनुसार अपनाया जा सकता है, लेकिन कोशिश यह है कि इसे 2027-28 से प्रभाव में लाया जाए।

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कैग का दावा है कि यह सुधार देशभर में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन को मजबूत करेगा और बजट व लेखा ढांचे में चल रही दशक पुरानी असमानताओं को दूर करेगा। यह कदम न केवल सरकारी खर्च की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाएगा, बल्कि सुशासन और उच्च गुणवत्ता वाले लेखापरीक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण सुधार साबित होगा।

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