नयी दिल्ली, 6 जुलाई (ट्रिन्यू)
भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर आज बौद्ध भिक्षुओं ने विश्व शांति एवं सौहार्द के लिए पालि ग्रंथ का सूत्र पाठ किया। महाबोधी सोसाइटी ऑफ इंडिया की दिल्ली शाखा के मंदिर मार्ग स्थित बुद्ध मंदिर में आयोजित इस सूत्र पाठ में भारत और श्रीलंका के बौद्ध भिक्षुओं ने भाग लिया।
इस अवसर पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रबुद्ध भारत इंटरनेशनल की अध्यक्ष और नयी दिल्ली नगरपालिका परिषद की सदस्य विशाखा शैलानी ने बताया कि डॉ. मुखर्जी 1942 से 1953 तक महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रहे। सांची के स्तूप से प्राप्त भगवान बुद्ध के प्रधान शिष्यों सारिपुत्र और मौदगल्यायन की पवित्र अस्थियों को उनके अध्यक्ष काल में ही ब्रिटिश सग्रंहालय से भारत लाया गया।
बुद्धिस्ट कल्चरल फाउंडेशन, भारत के चेयरमैन भंते दीपांकर सुमेधो ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। संविधान के निर्माण में उनका अद्वितीय योगदान रहा। महाबोधी सोसायटी के दिल्ली केंद्र के इंचार्ज भंते शीलवंस और श्रीलंका पिलग्रिम रेस्ट के इंचार्ज भंते विजित ने इस अवसर पर डॉ. मुखर्जी के लिए पुण्य अनुमोदन किया।