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BSP प्रमुख मायावती की पार्टी कार्यकर्ताओं को सलाह- मेरी तरह आकाश आनंद के साथ भी रहें खड़े

BSP Rally: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने कार्यकर्ताओं को खुद की तरह पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और अपने भतीजे आकाश आनंद के साथ भी हमेशा खड़े रहने का आह्वान करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि आकाश पार्टी...

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मायावती की फाइल फोटो। फोटो स्रोत एक्स अकाउंट @Mayawati
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BSP Rally: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने कार्यकर्ताओं को खुद की तरह पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और अपने भतीजे आकाश आनंद के साथ भी हमेशा खड़े रहने का आह्वान करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि आकाश पार्टी के जनाधार को बढ़ाने में पूरे जी—जान से जुटे है जिससे पार्टी के लोगों में उनके प्रति काफी उत्साह बढ़ा है।

मायावती ने बसपा संस्थापक कांशीराम के 19वें परिनिर्वाण दिवस पर यहां आयोजित रैली में पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद की सराहना की। उन्होंने कहा, ''अब तो पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद भी बसपा के आंदोलन से काफी हद तक जुड़ चुके हैं। यह भी पार्टी के लिए अत्यंत शुभ संकेत है और अब आकाश आनंद मेरे मार्गदर्शन और दिशा निर्देशन में अपनी पूरी लगन और मेहनत के साथ पार्टी को मजबूती देने में और पार्टी के जनाधार को बढ़ाने में पूरे जी जान से लगे हैं जिससे पार्टी के लोगों में उनके प्रति काफी उत्साह बढ़ा है।''

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मायावती ने कहा, ''इसे ध्यान में रखकर अब मेरा आकाश आनंद के बारे में यह कहना है कि जिस प्रकार से पूरे देश में पार्टी के लोग काशीराम जी के जीते जी और उनके देहांत के बाद भी हर परिस्थिति में मेरे साथ खड़े रहे, उसी प्रकार से पार्टी के लोग आकाश आनंद के साथ भी हमेशा खड़े रहें और इनका हर परिस्थिति में पूरा साथ भी जरूर दें।''

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मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पूर्व में अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था, मगर बाद में पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में उन्हें निष्कासित कर दिया था। हालांकि बाद में उन्हें फिर से पार्टी में शामिल कर लिया गया था मगर बसपा प्रमुख ने उस वक्त कहा था कि अब वह अपने जीते—जी किसी को भी अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाएंगी। मायावती ने इस मौके पर आकाश के पिता और बसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आनंद कुमार, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र और बसपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष विश्वनाथ पाल के भी पार्टी के प्रति प्रयासों की सराहना की।

गठबंधन से बसपा को नुकसान ही हुआ, अपने बलबूते लड़ेंगे उप्र का अगला विधानसभा चुनाव

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने गठबंधन के अपने पिछले अनुभवों को 'कोई खास फायदेमंद' नहीं बताते हुए बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का अगला चुनाव अपने बलबूते पर ही लड़ेगी। मायावती ने बसपा संस्थापक कांशीराम के 19वें परिनिर्वाण दिवस पर राजधानी में आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्व में किये गये गठबंधनों से सिर्फ सहयोगी दलों को ही फायदा हुआ है जबकि बसपा के उनके वोट बैंक का कोई खास सहयोग नहीं मिला।

उन्होंने कहा, "अब तक के अपने अनुभव के आधार पर, मैं यह स्पष्ट करना चाहती हूँ कि जब भी हमारी पार्टी ने गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ा है - खासकर उत्तर प्रदेश में - हमें कोई खास फायदा नहीं हुआ है।"

मायावती ने कहा, ''जहां तक अपनी पार्टी के लिए अकेले चुनाव लड़ने का सवाल है तो अब तक का अनुभव बताता है कि देश के अन्य प्रदेशों की तरह खासकर यहां उत्तर प्रदेश में जब भी हमारी पार्टी ने विधानसभा का चुनाव गठबंधन करके लड़ा है तो पार्टी को कोई विशेष लाभ नहीं हुआ है। क्योंकि हमारी पार्टी का वोट तो गठबंधन वाली पार्टी को एक तरफा ट्रांसफर हो जाता है लेकिन जातिवादी मानसिकता की वजह से विशेष कर अगड़ी जातियों का वोट बसपा के उम्मीदवारों को ट्रांसफर नहीं हो पाता है। वास्तव में यही हकीकत भी है, जिससे हमारी पार्टी के उम्मीदवार भी बहुत कम जीत पाते हैं. तथा पार्टी का वोट प्रतिशत भी काफी कम हो जाता है।''

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ''इसके साथ ही गठबंधन की सरकार बनने पर वह समय से पहले ही गिर जाती है। जब हम गठबंधन करके चाहे चुनाव लड़े तो वोट प्रतिशत भी कम हो जाता है। सरकर बनाएं तो समय से पहले ही गिर जाती है। 1993 में बसपा ने सपा से गठबंधन करके उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ा था तो पार्टी केवल 67 सीटें ही जीत पाई थी। उसके बाद फिर 1996 में पार्टी ने कांग्रेस पार्टी से गठबंधन करके विधानसभा का चुनाव लड़ा था तब फिर पार्टी केवल 67 सीटें ही जीत पाई थी। सन् 2002 में पार्टी ने विधानसभा का चुनाव अकेले लड़ा था तो तब पार्टी लगभग 100 सीटें जीत गई थी।''

उन्होंने कहा, ''यहां खास ध्यान देने की बात यह है कि पार्टी इन तीनों बार गठबंधन की सरकार में अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पायी। सन 2007 में पार्टी ने फिर से अकेले विधानसभा का आम चुनाव लड़ा था तो पार्टी 200 से ज्यादा सीटें जीत गई और फिर हमने पहली बार पूरे पांच साल के लिये पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी।'' मायावती ने कहा, ''ऐसे में पार्टी द्वारा गठबंधन करके चुनाव लड़ने से या फिर गठबंधन की सरकार बनाने से यहां सर्व समाज में से खासकर गरीबों एवं बहुजन समाज के लोगों का सही से विकास और उत्थान नहीं हो सकता है। इसीलिये इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अभी तक के अनुभवों के मुताबिक हमारी पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया है।''

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