बृजेंद्र सिंह हरियाणा में 2800 KM की ‘सदभावना यात्रा’ से साधेंगे सियासी समीकरण
Haryana Politics: बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था, किसानों और वोट चोरी पर बरसेंगे बृजेंद्र
Haryana Politics: हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस एक तरफ गुटबाजी की मार झेल रही है, वहीं दूसरी तरफ पार्टी को नई ऊर्जा देने की कवायद भी तेज हो गई है। इसी सिलसिले में पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह अब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर ‘सदभावना यात्रा’ निकालने जा रहे हैं। 5 अक्टूबर से शुरू होने वाली यह यात्रा करीब छह महीने तक चलेगी और 2600 से 2800 किलोमीटर का सफर तय करेगी।
बृजेंद्र सिंह ने साफ कहा कि इस यात्रा की प्रेरणा उन्हें राहुल गांधी की पदयात्रा से मिली है। राहुल की तरह ही उनका मकसद भी लोगों से सीधा संवाद करना और ज़मीन पर जनता के असली मुद्दों को उठाना है, लेकिन यहां केंद्रित विषय हैं - बेरोजगारी, महिलाओं की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था, किसानों की आवाज़ और वोट चोरी का बड़ा सवाल। पहले चरण में जींद, उचाना कलां, नरवाना, सफीदों, जुलाना, कैथल, कलायत, पुंडरी और गुहला समेत 14 विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो बृजेंद्र की यह ‘सदभावना यात्रा’ सिर्फ जनसंपर्क अभियान नहीं, बल्कि कांग्रेस को हरियाणा में गुटबाजी की दलदल से निकालकर एकजुटता की जमीन पर लाने का प्रयास है। जाट बाहुल्य इलाकों से इसकी शुरूआत करना, कांग्रेस की पारंपरिक वोट बैंक की ओर इशारा भी है। दरअसल, राहुल गांधी ने जिस तरह भारत जोड़ो यात्रा से राष्ट्रीय राजनीति का नैरेटिव बदला, उसी तर्ज पर बृजेंद्र सिंह हरियाणा में कांग्रेस की छवि सुधारने और खुद की सियासी पहचान मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
‘सदभावना यात्रा’ हरियाणा कांग्रेस के लिए दोहरी चुनौती और अवसर दोनों है। एक तरफ यह संगठन को जमीन पर खड़ा करने का मौका देगी, तो दूसरी तरफ गुटबाजी की गांठें खोलने का जरिया बनेगी। अब देखना यह होगा कि बृजेंद्र सिंह की यह लंबी पदयात्रा कांग्रेस को एकजुट कर पाएगी या नहीं, लेकिन इतना तय है कि हरियाणा की राजनीति में इस यात्रा से सियासी तापमान जरूर बढ़ेगा।
गुटबाजी पर सीधा वार
हरियाणा कांग्रेस की खेमेबाजी को लेकर बृजेंद्र सिंह ने बेबाकी से कहा कि बीते 11 सालों में संगठन का अभाव ही गुटबाजी की सबसे बड़ी वजह रहा। उन्होंने संकेत दिए कि अब संगठन खड़ा करने पर तेजी से काम हो रहा है और एक बार संरचना मजबूत हो गई तो गुटबाजी स्वतः खत्म हो जाएगी। उन्होंने यह भी स्वीकारा कि सीनियर नेताओं के बीच नोकझोंक चलती रहती है, लेकिन इसे उन्होंने लोकतंत्र का हिस्सा बताया। बृजेंद्र का मकसद इस यात्रा से यही संदेश देना है कि पार्टी में सब एकजुट हों और ‘संगठन पहले’ की लाइन पर काम करें।
बीरेंद्र-हुड्डा की सियासी ट्यूनिंग
नई दिल्ली में यात्रा की रणनीति तय करने के लिए बुधवार को हुई अहम बैठक की कमान पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने संभाली। उनके साथ बृजेंद्र और करीबी समर्थक मौजूद रहे। बीरेंद्र सिंह पहले ही साफ कर चुके हैं कि वे सिर्फ चुनावी राजनीति से रिटायर हुए हैं, राजनीति से नहीं। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हाल ही में कहा था कि वे ‘ना टायर्ड हैं, ना रिटायर्ड।’ इस बयान को बृजेंद्र ने आगे बढ़ाते हुए कहा - ‘यही बात चौधरी वीरेंद्र भी कहते हैं।’ स्पष्ट है कि बीरेंद्र सिंह इलेक्शन पॉलिटिक्स से तो दूर हो गए हैं लेकिन राजनीति से नहीं।