नयी दिल्ली, 9 अप्रैल (एजेंसी) देश में रविवार से 18 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों को बूस्टर डोज लगेगी। इसके लिए निजी टीकाकरण केंद्रों पर बूस्टर डोज के लिए 375 रुपये देने हाेंगे। इसमें 150 रुपये सर्विस जार्च और 225 रुपये वैक्सीन की कीमत शामिल है। केंद्र सरकार ने सर्विस जार्च 150 रुपये निर्धारित किया है, जबकि कोविशील्ड और कोवैक्सीन ने अपनी एक डोज की कीमत घटाकर 225 रुपये कर दी है। यह बूस्टर डोज के लिए लागू रहेगी। कोविशील्ड टीका बनाने वाली कंपनी एसआईआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आदर पूनावाला ने एक ट्वीट में कहा कि निजी अस्पतालों के लिए कोविशील्ड टीके की एक खुराक की कीमत को 600 रुपये से घटाकर 225 रुपये करने का फैसला किया गया है। इसी तरह स्वदेशी स्तर पर कोवैक्सीन टीका बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक की सह-संस्थापक एवं संयुक्त प्रबंध निदेशक सुचित्रा ईला ने एक ट्वीट में कहा कि केंद्र सरकार के साथ परामर्श के बाद निजी अस्पतालों को आपूर्ति की जाने वाली कोवैक्सीन खुराक की कीमत को 1,200 रुपये से घटाकर 225 रुपये किया जा रहा है। केंद्र सरकार की तरफ से देशव्यापी स्तर पर चलाए जा रहे कोविड-रोधी टीकाकरण अभियान में एसआईआई और भारत बायोटेक की तरफ से बड़े पैमाने पर टीके मुहैया कराए गए हैं। इन दोनों कंपनियों का निजी अस्पतालों में लगाए जाने वाले कोविड टीके की एक खुराक की कीमत में बड़े पैमाने पर कटौती करने का फैसला एहतियाती खुराक लगाने के सरकार के फैसले को देखते हुए अहम है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक दिन पहले ही घोषणा की थी कि 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को 10 अप्रैल से एहतियाती खुराक लगाई जाएगी। यह खुराक उन्हीं लोगों को लगेगी जिन्हें कोविड टीके की दूसरी खुराक लिए हुए नौ महीने पूरे हो चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अभी तक 15 साल से अधिक उम्र के करीब 96 फीसदी लोगों ने कोविड टीके की कम-से-कम एक खुराक ले ली है जबकि दोनों खुराक लेने वाले लोगों की संख्या करीब 83 फीसदी है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।