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BMW Accident Case : यह कहना गलत है कि कार ने बाइक को मारी थी टक्कर, आरोपी गगनप्रीत ने वकील के जरिए किया दावा

न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकित गर्ग आरोपी महिला की जमानत पर दलीलें सुन रहे

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BMW Accident Case : राष्ट्रीय राजधानी के ‘धौला कुआं बीएमडब्ल्यू दुर्घटना' मामले की आरोपी गगनप्रीत कौर ने बुधवार को अपने वकील के जरिए दावा किया कि उनकी कार ने मोटरसाइकिल को टक्कर नहीं मारी थी। उन्होंने दुर्घटना के 24 मिनट के भीतर पीड़ित को अस्पताल पहुंचा दिया था। न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकित गर्ग आरोपी महिला की जमानत पर दलीलें सुन रहे थे।

कौर (38) कथित तौर पर उस बीएमडब्ल्यू कार को चला रही थीं, जिसने वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी थी। इसमें उनकी मौत हो गई और उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हो गईं। कौर को 27 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। उनके वकील ने प्राथमिकी के हवाले से कहा कि ऐसा बताया गया है कि कार ने दोपहिया वाहन को पीछे से टक्कर मारी थी, लेकिन घटना का सीसीटीवी फुटेज कुछ और ही दिखा रहा है। उन्होंने कहा कि अचानक कार के सामने कुछ आया, कार फुटपाथ से टकराई, पलट गई, और फिर मोटरसाइकिल आई और उससे टकरा गई। इसके अलावा एक बस से भी टकरा गई।

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यह कहना गलत है कि कार ने मोटरसाइकिल को टक्कर मारी। वकील ने कहा कि चोट लगने के बावजूद, उन्होंने अपने बच्चों, घरेलू सहायिका व पति को फुटपाथ पर बैठाया और फटाफट व्यवस्थाएं करने की कोशिश की। उनके वकील ने दावा किया कि घायलों को लगभग 23-24 मिनट में न्यूलाइफ अस्पताल ले जाया गया। उन्हें एम्स या वेंकटेश्वर अस्पताल ले जाने में 36 मिनट लगते। घायलों को इन दोनों अस्पतालों तक ले जाने में चार किमी या 12 मिनट का अंतर था। घायलों को एक वैन में अस्पताल ले जाया जा रहा था तब सब कुछ ठीक था।

जब उस व्यक्ति की मौत हो गई तो चीजें बिगड़ गईं। आरोप बाद में लगाए गए हैं। प्राथमिकी 10 घंटे की देरी से एक बड़े सुंदर बयान के साथ दर्ज की गई है कि कार ने मोटरसाइकिल को टक्कर मारी। दोपहर 1:39 बजे मैंने (कौर) अपना फोन एक व्यक्ति को दिया और उसे पीसीआर को कॉल करने के लिए कहा। मैंने घायल महिला को अपना नाम बताया। मैं भाग सकती थी। कृपया शुरुआत से ही मेरे आचरण पर ध्यान दें। मैं 10 दिन की हिरासत में हूं। महिलाओं को कानून में विशेष दर्जा दिया गया है। बयान दर्ज किए गए हैं।

मैंने जांच में सहयोग किया है। अपना मोबाइल फोन, ड्राइविंग लाइसेंस और मेडिकल दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं। जमानत के लिए तीन शर्तें पूरी हो चुकी हैं। वकील ने कहा कि वास्तव में, कौर का पूरा परिवार ‘दुर्घटना का शिकार' था क्योंकि उसके बाद उनके लिए सब कुछ उलट-पुलट हो गया। इसके विपरीत, सरकारी वकील ने कहा कि मृतक की पत्नी, जो इस मामले में शिकायतकर्ता हैं, ने कौर से कभी भी उन्हें वेंकटेश्वर अस्पताल ले जाने के लिए नहीं कहा, बल्कि किसी भी नजदीकी अस्पताल ले जाने पर जोर दिया।

अभियोजक ने कहा कि न्यूलाइफ अस्पताल से पहले, एम्स, सफदरजंग, बेस अस्पताल और अन्य कई अस्पताल थे। उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा कि अगर पीड़ित को दूसरे अस्पतालों में ले जाया जाता तो उनकी जान बच ही जाती, लेकिन उनके बचने की संभावना ज्यादा थी। इरादा घायलों को बचाने का नहीं, बल्कि उन्हें किसी रिश्तेदार के अस्पताल में ले जाकर कानूनी कार्यवाही से खुद को बचाने का था।

अभियोजक ने तर्क दिया कि बीएनएस की धारा 105 का सही ढंग से इस्तेमाल किया गया था। जांच अभी शुरुआती चरण में है। शिकायतकर्ता की हालत गंभीर है। सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका है। इसके बाद न्यायाधीश ने जांच अधिकारी (आईओ) को 25 सितंबर को ‘‘सीसीटीवी फुटेज और सभी संबंधित दस्तावेज पेश करने'' का निर्देश दिया।

वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग में उप सचिव, नवजोत सिंह (52) 14 सितंबर की दोपहर दिल्ली छावनी मेट्रो स्टेशन के पास रिंग रोड पर हुई दुर्घटना में घायल हो गए थे और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। वह हरि नगर के रहने वाले थे। सिंह अपनी पत्नी के साथ बंगला साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेककर घर लौट रहे थे।

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