तिरुवनंतपुरम, 3 नवंबर (एजेंसी) कांग्रेस ने बुधवार को दावा किया कि विभिन्न राज्यों की विधानसभा और संसदीय सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपनी जनविरोधी नीतियों के कारण विशेष रूप से हिंदी पट्टी में अपनी गति खो रही है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में तीन विधानसभा क्षेत्रों और एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा का सुपड़ा साफ कर दिया जहां कांग्रेस के अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस उम्मीदवारों ने राजस्थान और कर्नाटक में भाजपा की मौजूदा सीटों पर भी कब्जा कर लिया। वेणुगोपाल ने कहा, ‘यह स्पष्ट संकेत है कि भाजपा खासकर हिंदी पट्टी में अपनी गति खो रही है।’ उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी कांग्रेस और भाजपा का सीधा मुकाबला हुआ वहां ‘भाजपा को उसकी जनविरोधी नीतियों के कारण गंभीर नुकसान का सामना करना पड़ा।’ वेणुगोपाल ने ईंधन और गैस की बढ़ती कीमतों और बेरोजगारी की बढ़ती दर को लेकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केवल पूंजीपतियों की मदद के लिए नीतियां बना रही है। कांग्रेस वेणुगोपाल ने कहा कि उपचुनाव के परिणाम मोदी सरकार की उन ‘जनविरोधी नीतियों’ के खिलाफ एक फैसला है, जिसने ‘किसान विरोधी कानूनों के माध्यम से देश के किसानों और आम नागरिकों के खिलाफ युद्ध की घोषणा की और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को अन्यायपूर्ण तरीके से बढ़ाया।’
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।