मुंबई, 11 जून (एजेंसी) महाराष्ट्र से शिवसेना के संजय पवार के राज्यसभा चुनाव हारने और भाजपा के धनंजय महाडिक के विजयी होने के बाद, पार्टी नेता संजय राउत ने शनिवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी ने शिवसेना का एक वोट अयोग्य घोषित कराने के लिए निर्वाचन आयोग पर दबाव बनाया। राउत ने संवाददाताओं से कहा कि भाजपा की जीत उतनी बड़ी नहीं है जितना बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिवसेना के दूसरे उम्मीदवार ने पहली प्राथमिकता वाले अधिक मत प्राप्त किये हैं। राउत ने स्वयं राज्यसभा की एक सीट पर जीत हासिल की है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि भाजपा के प्रत्याशी ने विजय हासिल की है। पहली प्राथमिकता वाले 33 मत पवार को मिले हैं। उन्होंने कहा कि महाडिक को पहली प्राथमिकता वाले 27 मत प्राप्त हुए हैं। राउत ने कहा कि वह दूसरी प्राथमिकता वाले मतों के आधार पर जीते हैं। महाराष्ट्र से कड़े मुकाबले में भाजपा के पीयूष गोयल, अनिल बोंडे और महाडिक राज्यसभा चुनाव में विजयी हुए हैं। शिवसेना से राउत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से प्रफुल्ल पटेल और कांग्रेस से इमरान प्रतापगढ़ी संसद के उच्च सदन में पहुंचे हैं। कुल 284 वैध मतों में से गोयल को 48, बोंडे को 48, महाडिक को 41. 56, राउत को 41, प्रतापगढ़ी को 44 और पटेल को 43 मत प्राप्त हुए। चुनाव के नियमों का उल्लंघन होने के आरोपों और मतों को अयोग्य ठहराने की मांग को लेकर भाजपा और शिवसेना दोनों ने निर्वाचन आयोग का रुख किया। आयोग ने महाराष्ट्र के राज्यसभा निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया कि शिवसेना के विधायक सुहास कांदे के मत को खारिज कर दिया जाए। इसके बाद देर रात एक बजे के पश्चात मतगणना शुरू हुई। राउत ने कहा कि दिल्ली में निर्वाचन आयोग पर दबाव डालकर हमारे एक मत (विधायक कांदे) को अयोग्य घोषित करा दिया गया। हमने उनके मतों को अवैध घोषित करने की याचिका डाली थी, लेकिन आयोग ने उनका साथ दिया। महाराष्ट्र, हरियाणा और राजस्थान में जो कुछ भी हुआ उससे निर्वाचन आयोग के कामकाज पर सवाल उठते हैं।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।