Bihar Politics बिहार चुनावी रण : सीट बंटवारे पर एनडीए और महागठबंधन में सियासी घमासान
नीतीश कुमार की नाराजगी के पीछे क्या है वजह
Bihar Politics बिहार की राजनीति सोमवार की रात सचमुच उबल पड़ी। एनडीए और महागठबंधन दोनों में सीट बंटवारे को लेकर गहरी दरारें सामने आ गईं। सत्ता के दोनों खेमों में गहमागहमी, विरोध और बैठकों का दौर देर रात तक चलता रहा।
एनडीए ने शनिवार को दिल्ली में सीट बंटवारे का जो फार्मूला घोषित किया था, उसी ने जदयू और भाजपा के रिश्तों में खटास घोल दी। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बात से नाराज हैं कि जदयू की कई परंपरागत सीटें लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) को दे दी गईं। एक वरिष्ठ जदयू नेता ने बताया, ‘सहमति 103 सीटें जदयू और 102 भाजपा की थी, लेकिन अब फार्मूला बदलकर 101-101 कैसे हो गया?’ नीतीश ने भाजपा नेताओं से कहा कि इस ‘अनुचित बंटवारे’ पर पुनर्विचार किया जाए।
उनकी नाराजगी खास तौर पर सोनबरसा (आरक्षित) सीट को लेकर है, जहां मौजूदा जदयू विधायक और मंत्री रत्नेश सदा का टिकट काटकर एलजेपी को टिकट दे दिया गया। देर रात नीतीश ने खुद सादा को पार्टी प्रतीक सौंपकर संकेत दिया कि वे पीछे हटने वाले नहीं। रत्नेश सदा ने कहा, ‘जब पता चला कि सीट एलजेपी को दी गई है तो यकीन नहीं हुआ, लेकिन मुझे भरोसा था कि नीतीश जी मेरे साथ खड़े रहेंगे।’
दिल्ली से पटना तक सियासी हलचल
दिल्ली में हुई वार्ता जदयू नेताओं संजय झा और ललन सिंह ने संभाली थी। जब विवाद बढ़ा तो भाजपा के नितिन नवीन और विनोद तावड़े पटना पहुंचे। देर रात संजय झा के घर पर हुई बैठक बिना किसी समाधान के खत्म हो गई। भाजपा सूत्रों ने संकेत दिए कि अब गृह मंत्री अमित शाह खुद पटना आकर विवाद सुलझा सकते हैं।
दिल्ली में घोषित फॉर्मूले के तहत भाजपा और जदयू को 101-101, एलजेपी को 29, जीतन राम मांझी की ‘हम’ और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलडी को 6-6 सीटें दी जानी थीं।
इस बीच, पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह ने जदयू से इस्तीफा देकर नाराजगी जताई, जबकि चंद्रिका राय के समर्थकों ने देर रात टिकट की मांग को लेकर झा के आवास के बाहर प्रदर्शन किया।
महागठबंधन में भी उठी बगावत की आंच
उधर, महागठबंधन में भी स्थिति कम विस्फोटक नहीं रही। तेजस्वी यादव के करीबी भोला यादव ने आरजेडी उम्मीदवारों को पार्टी प्रतीक बांटने शुरू कर दिए थे, लेकिन जैसे ही तेजस्वी दिल्ली से लौटे, उन्होंने तुरंत सभी प्रतीक वापस करने का आदेश दिया।
आरजेडी सूत्रों के अनुसार, यह फैसला राहुल गांधी के निर्देश के बाद लिया गया, जिन्होंने कहा था कि सीट बंटवारे की बातचीत पूरी होने से पहले प्रतीक बांटना अनुचित है। पहले तय प्रस्ताव में 134 सीटें आरजेडी, 54 कांग्रेस, 22 भाकपा-एमएल, 6 भाकपा, 4 माकपा, 18 वीआईपी, 2 झारखंड मुक्ति मोर्चा, 3 पशुपति पारस गुट की एलजेपी और 2 इंडियन इन्क्लूसिव पार्टी को दी जानी थीं।
इधर, भाकपा-एमएल ने भी कई उम्मीदवारों को प्रतीक सौंप दिए, जिनमें कुछ वे सीटें भी शामिल थीं जिन पर पहले आरजेडी लड़ी थी। इससे महागठबंधन में असंतोष और गहराता दिख रहा है।
नई ताकतें मैदान में
इस सियासी खींचतान के बीच प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने सोमवार को 65 नए उम्मीदवारों की घोषणा की। इनमें डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, शिक्षाविद और समाजसेवी शामिल हैं।
वहीं, लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव की नई पार्टी जनशक्ति जनता दल ने भी दो प्रत्याशी घोषित किए। इसे सीधे तौर पर छोटे भाई तेजस्वी की आरजेडी को चुनौती देने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है, खासकर क्योंकि दोनों ने यादव उम्मीदवारों को ही टिकट दिए हैं।