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Bihar News : मंदिरों को अखाड़ों के लिए स्थान देने और पूजा के प्रति लोगों में जागरुकता पैदा करने का आग्रह

Bihar News : बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद (बीएसबीआरटी) ने राज्य के सभी पंजीकृत मंदिरों और मठों को सलाह दी है कि वे अखाड़ों को शारीरिक अभ्यास करने के लिए स्थान उपलब्ध कराएं और लोगों में नियमित रूप से सत्यनारायण...
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Bihar News : बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद (बीएसबीआरटी) ने राज्य के सभी पंजीकृत मंदिरों और मठों को सलाह दी है कि वे अखाड़ों को शारीरिक अभ्यास करने के लिए स्थान उपलब्ध कराएं और लोगों में नियमित रूप से सत्यनारायण कथा और भगवती पूजा आयोजित करने के लिए जागरुकता फैलाएं। बीएसबीआरटी के अध्यक्ष रणबीर नंदन ने कहा कि लोगों को हर महीने शुभ मुहूर्त में अपने घरों में पूजा आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि इससे सुख-समृद्धि आती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। बीएसबीआरटी एक सरकारी संस्था है जो बिहार में हिंदू धार्मिक न्यासों की देखरेख और प्रबंधन के लिए उत्तरदायी है। यह मंदिरों, मठों और न्यासों के लिए पंजीकरण प्राधिकरण के रूप में भी कार्य करती है। साथ ही, यह उनकी अचल संपत्तियों का विवरण प्रस्तुत करना अनिवार्य बनाता है, ताकि अनियमितताओं से बचाव सुनिश्चित किया जा सके। नंदन ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया, ‘‘बोर्ड ने सभी मंदिरों और मठों को हर महीने पूर्णिमा और अमावस्या के दिन क्रमशः सत्यनारायण कथा और भगवती पूजा आयोजित करने की सलाह दी है। पंजीकृत मंदिरों और मठों के न्यास के सदस्यों को भी इन पूजाओं के महत्व के बारे में लोगों में संदेश फैलाने की सलाह दी गई है।''

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उन्होंने कहा कि लोगों को हर महीने अपने घरों में ये पूजाएं आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि वे सत्यनारायण कथा और भगवती पूजा के महत्व को जान सकें। बीएसबीआरटी का मानना है कि शुभ मुहूर्त में सत्यनारायण कथा करने से घर में सुख, समृद्धि, सौभाग्य और सकारात्मकता आती है। वहीं, अमावस्या पर भगवती पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं का नाश होता है। नंदन ने कहा कि जहां तक अखाड़ों के लिए स्थान देने की बात है, बीएसबीआरटी का मानना है कि युवाओं में स्वदेशी खेलों और पारंपरिक मार्शल आर्ट्स को बढ़ावा दिया जाना चाहिए जिसके लिए जल्द ही पर्षद के मौजूदा नियमों में बदलाव किए जाएंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘भविष्य में केवल उन्हीं मंदिरों और मठों का पंजीकरण किया जाएगा, जो अपने परिसर में अखाड़े के लिए समर्पित स्थान सुनिश्चित करेंगे। पहले से पंजीकृत मंदिरों और मठों को भी इस दिशा में कदम उठाते हुए अखाड़े स्थापित करने होंगे।'' उन्होंने बताया कि बीएसबीआरटी 18 सितंबर को पटना में एक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि मंदिर और मठ केवल पूजा-स्थल नहीं, बल्कि सामाजिक सुधार की गतिविधियों के भी केंद्र हो सकते हैं।

बीएसबीआरटी के अध्यक्ष ने कहा कि मंदिरों और मठों के न्यास से जुड़े सदस्यों को सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए भी काम करना चाहिए। साथ ही, उन्हें नियमित रूप से यज्ञ, स्वास्थ्य शिविर और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करने का भी सुझाव दिया जाएगा। बीएसबीआरटी द्वारा संकलित नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 2,499 पंजीकृत मंदिर और मठ हैं, जबकि 2,512 अपंजीकृत हैं। सारण जिले में सबसे अधिक 206 पंजीकृत मंदिर-मठ हैं, इसके बाद मुजफ्फरपुर (187), मधुबनी (156), पटना (144), पूर्वी चंपारण (137) और पश्चिमी चंपारण (136) का स्थान है।

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