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Bihar Elections 2025: सम्राट चौधरी के हलफनामे से जन्मतिथि और शैक्षणिक योग्यता पर विवाद

Samrat Choudhary Affidavit: हलफनामा में 10 करोड़ रुपए से अधिक की चल-अचल संपत्ति घोषित की गई

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Samrat Choudhary Affidavit: सम्राट चौधरी की फाइल फोटो। पीटीआई
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Samrat Choudhary Affidavit: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर तारापुर विधानसभा क्षेत्र से उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं। सम्राट चौधरी हलफनामा (Samrat Choudhary Affidavit) में 10 करोड़ रुपए से अधिक की चल-अचल संपत्ति घोषित की गई है, लेकिन उनकी उम्र और शैक्षणिक योग्यता को लेकर राजनीतिक हलकों में विवाद शुरू हो गया है।

सम्राट चौधरी हलफनामा (Samrat Choudhary Affidavit) के अनुसार, उनके खिलाफ दो आपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें से एक पटना में 2023 का निषेधाज्ञा उल्लंघन का मामला है और दूसरा उनके गृह जिले मुंगेर में पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का मामला है।

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चौधरी एक दशक से अधिक समय बाद विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और यह उनके राज्य विधान परिषद में लगातार दूसरे कार्यकाल का अवसर है। सम्राट चौधरी हलफनामा (Samrat Choudhary Affidavit) में उनकी संपत्ति विवरण में 99.32 लाख रुपए की चल संपत्ति और 8.28 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति शामिल है।

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हालांकि, सम्राट चौधरी हलफनामा (Samrat Choudhary Affidavit) में उनकी आयु और शैक्षणिक योग्यता के अस्पष्ट विवरणों ने राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दिया है। जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया है कि चौधरी ने 1995 में तारापुर में हुई सात हत्याओं के मामले में अपने लिए फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर मुकदमे से बचने की कोशिश की।

किशोर का कहना है कि अगर सम्राट चौधरी के हलफनामा (Samrat Choudhary Affidavit) में 2020 में उनकी उम्र 51 वर्ष बताई गई थी, तो 1995 में उनकी उम्र 25-26 वर्ष थी। ऐसे में उन्हें नाबालिग दिखाकर राहत कैसे दी गई, यह सवाल उठता है।

इसके अलावा सम्राट चौधरी के हलफनामा (Samrat Choudhary Affidavit) में उम्र मतदाता सूची के अनुसार 56 वर्ष दर्ज है, लेकिन कोई स्कूल प्रमाण पत्र संलग्न नहीं किया गया। उन्होंने मानद डी.लिट प्राप्त करने का उल्लेख किया है, जबकि किशोर ने आरोप लगाया कि उन्होंने केवल 10वीं तक पढ़ाई की है।

सम्राट चौधरी का कहना है कि उन्होंने कामराज विश्वविद्यालय से ‘पीएफसी’ की पढ़ाई की है। हाल ही में सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए हैं, जिनमें वे पत्रकारों को ‘पीएफसी’ का अर्थ समझाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

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