Tribune
PT
About Us Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

पूर्व SEBI प्रमुख माधबी बुच को बड़ी राहत, हाई कोर्ट ने FIR दर्ज करने पर रोक लगाई

Madhabi Butch: शेयर बाजार में धोखाधड़ी और नियामकीय उल्लंघन का है आरोप
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
माधवी बुच की फाइल फोटो। पीटीआई
Advertisement

मुंबई, 4 मार्च (भाषा)

Madhabi Butch:  बंबई हाई कोर्ट ने शेयर बाजार धोखाधड़ी मामले में सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के विशेष अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है। इससे पहले बंबई हाई कोर्ट ने सोमवार को बाजार नियामक सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश पर चार मार्च तक कोई कार्रवाई न करने का भ्रष्टाचार-निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को निर्देश दिया था।

Advertisement

बुच, बीएसई के प्रबंध निदेशक सुंदररमन राममूर्ति और चार अन्य अधिकारियों ने अपने खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश के खिलाफ बंबई हाई कोर्ट का रुख किया था। मुंबई स्थित एक विशेष अदालत ने शनिवार को शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और नियामकीय उल्लंघन के संबंध में बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच करने का एसीबी को आदेश दिया था।

इस आदेश के खिलाफ बुच और अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति एस जी डिगे की एकल पीठ ने कहा कि इन याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई होगी और तब तक एसीबी की विशेष अदालत के आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं होगी।

बुच और सेबी के तीन मौजूदा पूर्णकालिक निदेशकों- अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण जी और कमलेश चंद्र वार्ष्णेय की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता हाई कोर्ट में पेश हुए।

वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई बीएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुंदररमन राममूर्ति और इसके पूर्व चेयरमैन और जनहित निदेशक प्रमोद अग्रवाल की ओर से पेश हुए। याचिकाओं में विशेष अदालत के आदेश को अवैध और मनमाना बताते हुए इसे रद्द करने की अपील की गई।

इन याचिकाओं में कहा गया है कि विशेष अदालत का आदेश कानूनी रूप से टिकने योग्य नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ताओं को नोटिस नहीं जारी किया गया था और निर्णय लेने से पहले उनकी बात भी नहीं सुनी गई।

याचिकाओं में कहा गया, ‘‘विशेष अदालत का आदेश स्पष्ट रूप से त्रुटिपूर्ण, स्पष्ट रूप से अवैध और अधिकार क्षेत्र के बगैर पारित किया गया है। अदालत इस पर विचार करने में नाकाम रही है कि शिकायतकर्ता सेबी के अधिकारियों के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहने के लिए आवेदकों के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला नहीं बना पाया है।''

सेबी ने रविवार को बयान में कहा था कि वह विशेष अदालत के आदेश को चुनौती देने के लिए उचित कानूनी कदम उठाएगा और सभी मामलों में उचित नियामकीय अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। शिकायत करने वाले मीडिया रिपोर्टर सपन श्रीवास्तव ने विशेष अदालत में बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी, नियामकीय उल्लंघन और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए इनकी जांच कराने की अपील की थी।

शिकायतकर्ता का दावा है कि सेबी के अधिकारी अपने वैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन में नाकाम रहे, बाजार में हेराफेरी को बढ़ावा दिया तथा निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी को सूचीबद्ध करने की अनुमति देकर कॉरपोरेट धोखाधड़ी की राह आसान की।

एसीबी अदालत के न्यायाधीश शशिकांत एकनाथराव बांगड़ ने शनिवार को पारित आदेश में कहा था, “प्रथम दृष्टया नियामकीय चूक और मिलीभगत के सबूत हैं, जिसकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।” अदालत ने कहा कि आरोपों से संज्ञेय अपराध का पता चलता है, जिसके लिए जांच जरूरी है। विशेष अदालत ने कहा कि वह इस जांच की निगरानी करेगी

। उसने 30 दिन के भीतर मामले की स्थिति रिपोर्ट पेश करने का आदेश भी दिया। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की पहली महिला प्रमुख बुच पर अमेरिका स्थित शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने भी हितों के टकराव के आरोप लगाए थे। वह सेबी चेयरपर्सन का तीन साल का कार्यकाल पूरा कर 28 फरवरी को ही पद से हटी हैं।

Advertisement
×