प्रॉपर्टी डीलर्स को बड़ा झटका, अब HSVP पोर्टल से ही होगी खरीद-फरोख्त; सरकार ने जारी किए नए नियम
अब सौदे सीधे पोर्टल पर होंगे और हर लेन-देन सरकार की निगरानी में रहेगा
हरियाणा सरकार ने शहरी क्षेत्रों में प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने अब प्राइवेट प्रॉपर्टीज की बिक्री और खरीद को अपने पोर्टल के माध्यम से अनिवार्य कर दिया है। इस फैसले से पारंपरिक प्रॉपर्टी डीलरों को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि अब सौदे सीधे पोर्टल पर होंगे और हर लेन-देन सरकार की निगरानी में रहेगा।
नए प्रावधानों के तहत एचएसवीपी पोर्टल पर प्रॉपर्टी लिस्ट करने के लिए विक्रेता को 10,000 रुपये की नॉन-रिफंडेबल रजिस्ट्रेशन फीस के साथ जीएसटी देना होगा। यही नहीं, सरकार ने बिक्री और खरीद पर भी कमीशन लागू किया है। प्रॉपर्टी लिस्ट करते समय विक्रेता को प्रॉपर्टी की मांग की गई कीमत का 0.25% बतौर कमीशन देना होगा। वहीं, जब खरीदार बोली को स्वीकार करेगा तो उसे अंतिम बोली राशि का 0.50% कमीशन के रूप में चुकाना पड़ेगा।
ऑक्शन की प्रक्रिया और नियम
एचएसवीपी के नए नियमों के अनुसार, विक्रेता को पोर्टल पर केवाईसी डॉक्यूमेंट्स, कानूनी वारिस की सहमति, प्रॉपर्टी से जुड़े मुकदमों से मुक्त होने का प्रमाण और प्रॉपर्टी का पूरा विवरण देना अनिवार्य होगा। इसके बाद खरीदार ऑनलाइन बोली लगाएंगे और सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को प्रॉपर्टी मिलेगी। सौदा तय होने के साथ ही स्वचालित रूप से ट्रांसफर परमिशन जारी होगी, जो 90 दिन तक मान्य रहेगी।
गोपनीयता और पारदर्शिता पर जोर
पोर्टल के जरिए की जाने वाली डील में विक्रेता और खरीदार की संपर्क जानकारी (मोबाइल नंबर व ईमेल) डील पूरी होने तक गोपनीय रखी जाएगी। इसका उद्देश्य अनधिकृत नेगोसिएशन और ऑफ-प्लेटफॉर्म डील्स को रोकना है। साथ ही, हर चरण की जानकारी SMS और ईमेल के जरिए दोनों पक्षों को भेजी जाएगी।
पांच बड़े शहरों में होगी शुरुआत
एचएसवीपी ने शुरुआती तौर पर इस व्यवस्था को पांच बड़े शहरों में लागू करने का फैसला किया है और इनके लिए ऑक्शन की डेट भी घोषित कर दी है। माना जा रहा है कि यह कदम जहां पारदर्शिता बढ़ाएगा, वहीं प्रॉपर्टी बाजार में बिचौलियों की भूमिका लगभग खत्म कर देगा।
डीलरों में रोष, सरकार का दावा- होगा फायदा
इस फैसले से प्रॉपर्टी डीलरों में नाराजगी देखी जा रही है, क्योंकि उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा प्रभावित होगा। दूसरी ओर सरकार का दावा है कि इस व्यवस्था से आम खरीदार और विक्रेता को फायदा होगा, क्योंकि धोखाधड़ी और कालाबाजारी की गुंजाइश समाप्त हो जाएगी। सरकार का यह कदम रियल एस्टेट सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव की ओर इशारा करता है और अब देखना होगा कि आने वाले समय में इसका बाजार पर कितना गहरा असर पड़ता है।