Bhima Koregaon Case : वरवरा राव की मुश्किलें बरकरार, मेडिकल बेल में ढील से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार
Bhima Koregaon Case : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र में 2018 में हुई भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी कार्यकर्ता और कवि पी वरवर राव की जमानत की शर्तों में बदलाव की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। राव ने उस शर्त में संशोधन की मांग की थी जिसके तहत उन्हें ग्रेटर मुंबई क्षेत्र छोड़ने के लिए निचली अदालत से पूर्व अनुमति लेनी पड़ती है। न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने बदलाव करने में अनिच्छा व्यक्त की और मामले को वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया गया। पीठ ने कहा, ‘‘सरकार उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखेगी या उसी अदालत में जाएगी। हमें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है।''
राव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने दलील दी कि कार्यकर्ता चार साल से जमानत पर बाहर हैं, लेकिन उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। ग्रोवर ने कहा कि राव की पत्नी पहले उनकी देखभाल करती थीं, लेकिन अब वह हैदराबाद चली गई हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है और मुकदमा भी जल्द पूरा होने की संभावना नहीं है। शीर्ष अदालत ने 10 अगस्त, 2022 को राव को चिकित्सा आधार पर जमानत दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘वह 82 वर्ष के हैं। वह ढाई साल से हिरासत में हैं। आरोपपत्र दायर किया जा चुका है, फिर भी कुछ अभियुक्तों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है और अदालत में अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय करने का मामला नहीं उठाया गया है।''
पीठ ने आगे कहा, ‘‘यह जमानत पूरी तरह से चिकित्सा आधार पर है। यह आदेश अन्य अभियुक्तों या अपीलकर्ता के मामलों के लिए योग्यता के आधार पर मिसाल नहीं बनेगा।'' शीर्ष अदालत ने राव को ‘‘निचली अदालत की स्पष्ट अनुमति के बिना'' मुंबई के अधिकार क्षेत्र से बाहर न जाने का आदेश दिया। अदालत ने कहा, ‘‘उन्हें अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए या गवाहों से संपर्क नहीं करना चाहिए। वह अपनी पसंद के चिकित्सा उपचार के हकदार हैं।'' लेकिन उन्हें इस बारे में एनआईए (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण) को सूचित करना होगा।
तेलुगु कवि वरवर राव को 28 अगस्त, 2018 को हैदराबाद स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया गया था। वह भीमा कोरेगांव मामले में विचाराधीन कैदी थे, जिसमें पुणे पुलिस ने 8 जनवरी, 2018 को विश्रामबाग पुलिस थाने में आईपीसी की विभिन्न धाराओं और यूएपीए के कई प्रावधानों के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की थी। शुरुआत में, राव को घर में नजरबंद रखा गया था और 17 नवंबर, 2018 को उन्हें पुलिस हिरासत में ले लिया गया था। बाद में उन्हें महाराष्ट्र की तलोजा जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। 22 फरवरी, 2021 को, बंबई हाई कोर्ट ने उन्हें चिकित्सा आधार पर जमानत दे दी और उन्हें छह मार्च को रिहा कर दिया गया।
हालाकि, 13 अप्रैल, 2022 को, अदालत ने कार्यकर्ता की स्थायी जमानत की याचिका खारिज कर दी, लेकिन उनकी अस्थायी चिकित्सा जमानत तीन महीने के लिए बढ़ा दी। अदालत ने राव की तेलंगाना वापस स्थानांतरण की याचिका भी खारिज कर दी। राव मुंबई में चिकित्सा जमानत पर बाहर हैं। यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि अगले दिन पश्चिमी महाराष्ट्र के इस शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क उठी थी। पुणे पुलिस ने कहा कि इस सम्मेलन का आयोजन कथित तौर पर माओवादियों से जुड़े लोगों ने किया था। बाद में, एनआईए ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली।