भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र को मिला UNESCO की 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर' में स्थान
नई दिल्ली, 18 अप्रैल (ट्रिन्यू)
Memory of the World Register: भारतीय सभ्यतागत धरोहर को एक बड़ी वैश्विक मान्यता मिली है। श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि रचित नाट्यशास्त्र को यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर (Memory of the World Register) में शामिल किया गया है।
यूनेस्को का यह रजिस्टर विश्व के उन महत्वपूर्ण दस्तावेज़ी धरोहरों की सूची है, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय सलाहकार समिति की सिफारिश पर और कार्यकारी बोर्ड की स्वीकृति से चुना जाता है। इस सूची में शामिल होना दस्तावेज़ी धरोहर के वैश्विक महत्व और सर्वकालिक सार्वभौमिक मूल्य को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करता है। इससे शोध, शिक्षा, मनोरंजन और संरक्षण को बढ़ावा मिलता है।
मई 2023 तक इस अंतरराष्ट्रीय रजिस्टर में कुल 494 दस्तावेज़ी धरोहरें शामिल थीं। भारत की अब तक कुल 14 प्रविष्टियां इस सूची में दर्ज हो चुकी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया गर्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा, "हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण! गीता और नाट्यशास्त्र का यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल होना हमारी सनातन ज्ञान परंपरा और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक स्वीकृति है। गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना को पोषित किया है। इनकी शिक्षाएं आज भी पूरे विश्व को प्रेरित करती हैं।"
संस्कृति मंत्री ने बताई 'भारत की सौंदर्यबोध और दर्शन की जड़ें'
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इन दोनों कृतियों को "सिर्फ साहित्यिक धरोहर नहीं, बल्कि भारत के सौंदर्यशास्त्र और दर्शन की आधारशिला" बताया। उन्होंने कहा, "ये दोनों ग्रंथ हमारे सोचने, महसूस करने, जीने और अभिव्यक्त करने के तरीकों को आकार देने वाले स्तंभ हैं। अब इस रजिस्टर में भारत की कुल 14 प्रविष्टियां हो गई हैं। यह वैश्विक सम्मान भारत की शाश्वत बुद्धिमत्ता और कलात्मक प्रतिभा का उत्सव है।"