Bengaluru Stampede : 'खुलासा चाहिए, पर्दा नहीं'... कर्नाटक हाईकोर्ट ने उठाए सीलबंद रिपोर्ट पर सवाल
बेंगलुरु, 17 जून (भाषा)
Bengaluru Stampede : कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार से भगदड़ पर स्थिति रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में रखने पर जोर देने के लिए सवाल किया व जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही को रेखांकित किया। यहां चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 4 जून को हुई भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई थी।
इस संबंध में स्वत:संज्ञान याचिका जब कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी. कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति सी.एम. जोशी के समक्ष सुनवाई के लिए आई, तो महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने कहा कि सरकार खुलासा करने से नहीं कतरा रही है, लेकिन वह जारी जांच में पूर्वाग्रह से बचना चाहती है। उन्होंने राज्य द्वारा तैयार किए गए प्रारंभिक निष्कर्षों और अंतरिम आकलन का उल्लेख करते हुए कहा कि हम अगले सप्ताह दोनों रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। महाधिवक्ता ने इस बात पर जोर दिया कि रिपोर्ट में कुछ टिप्पणियां प्रारंभिक प्रकृति की हैं और यदि उन्हें समय से पहले सार्वजनिक कर दिया गया तो मीडिया द्वारा सनसनीखेज बनाया जा सकता है।
पीठ ने दोहराया कि वह स्थिति रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखने के प्रश्न पर विचार करेगी व उसने न्यायमित्र नियुक्त करने के अपने निर्णय की घोषणा की। इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले पर निर्णय लेने से पहले न्यायमित्र से सहायता लेगी। कोर्ट ने जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही को स्पष्ट प्राथमिकता देने का संकेत दिया। महाधिवक्ता ने सभी रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए 20 से 25 दिन का स्थगन मांगा। हालांकि, पीठ इससे सहमत नहीं दिखी। कोर्ट ने पूछा, “इससे हमें रुकने की क्या जरूरत है?” अदालत ने दोहराया कि कार्यवाही राज्य की आंतरिक समयसीमा से सीमित नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि वह कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए), रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) और डीएनए नेटवर्क्स - आईपीएल मैच के संचालन और प्रबंधन में शामिल तीन संस्थाओं को पक्षकार बनाना चाहती है। विभिन्न आवेदकों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने राज्य की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग करते हुए तर्क दिया कि पारदर्शिता और जवाबदेही महत्वपूर्ण हैं। एक वकील ने कानूनी नजीर का हवाला देते हुए कहा कि एकतरफा दलील से प्राकृतिक न्याय का गंभीर उल्लंघन होता है। दूसरे ने कहा कि सीलबंद लिफाफे से अस्पष्टता की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है।
अगली सुनवाई 23 जून को निर्धारित
पीठ ने पीड़ितों के लिए मुआवजे में वृद्धि की मांग करने वाले वकील को निर्देश दिया कि वह अपना आवेदन महाधिवक्ता के समक्ष प्रस्तुत करें ताकि राज्य तदनुसार जवाब दे सके। कोर्ट ने आदेश दिया कि केएससीए, आरसीबी और डीएनए नेटवर्क को नोटिस जारी कर उन्हें प्रतिवादी पक्ष बनाया जाए। अगली सुनवाई 23 जून को निर्धारित की गई है।