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2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले 2 लोगों ने की थी मुलाकात, 160 सीटों पर दी जीत की गारंटी; पवार के दावे से मची सियासी हलचल

शरद पवार ने राहुल गांधी का किया समर्थन, निर्वाचन आयोग से जांच की मांग
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राकांपा (शरद चंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को मांग की कि चुनावी प्रक्रिया की शुचिता और निर्वाचन आयोग की छवि के बारे में संदेह दूर करने के लिए आयोग विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए ‘‘वोट चोरी'' के आरोपों की विस्तृत जांच कराए। पवार ने निर्वाचन आयोग द्वारा गांधी को हलफनामा दाखिल करने और शपथपत्र के तहत जानकारी देने के लिए कहे जाने के पीछे के तर्क पर भी सवाल उठाया।

इस बीच, पवार ने दावा किया कि 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले दो व्यक्तियों ने उनसे नई दिल्ली में मुलाकात की थी और 288 में से 160 निर्वाचन क्षेत्रों में विपक्ष की जीत की "गारंटी" दी थी। उन्होंने कहा कि मैंने उन्हें राहुल गांधी से मिलवाया। उन्हें जो कुछ कहा गया था, उसे उन्होंने नजरअंदाज कर दिया था। उनका यह भी मानना था कि हमें (विपक्ष को) ऐसे मामलों में नहीं पड़ना चाहिए।

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गांधी ने वीरवार को कर्नाटक के एक निर्वाचन क्षेत्र में पिछले साल मतदाता सूची के विश्लेषण का हवाला देते हुए भाजपा व निर्वाचन आयोग के बीच ‘‘मिलीभगत'' के जरिए चुनाव में ‘‘बड़े पैमाने पर आपराधिक धोखाधड़ी'' का दावा किया। एक दिन बाद, उन्होंने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग व भाजपा ने लोगों से लोकसभा चुनाव ‘‘चुराने'' के लिए मिलीभगत की। कम से कम 3  राज्यों में ‘‘वोट चोरी'' हुई। पवार ने कहा कि वोट चोरी पर राहुल गांधी की प्रस्तुति अच्छी तरह से शोध व दस्तावेजीकरण के बाद दी गई थी। लोगों के बीच संदेह को दूर करने के लिए उनके द्वारा उठाई गई चिंताओं की विस्तृत जांच की आवश्यकता है। दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए।

मुझे लगता है कि जांच से सच्चाई सामने आ जाएगी। चूंकि निर्वाचन आयोग एक स्वतंत्र संस्था है, इसलिए उसे गांधी से अलग से घोषणापत्र नहीं मांगना चाहिए। गांधी ने संसद में भी यही कहा था। राहुल गांधी द्वारा यह आरोप लगाए जाने के तुरंत बाद कि वोट चोरी लोकतंत्र के लिए एक परमाणु बम है। कर्नाटक व महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने कांग्रेस के प्रमुख से उन मतदाताओं के नाम साझा करने को कहा, जिनके बारे में कांग्रेस नेता ने दावा किया था कि वे मतदाता सूची में ‘‘गलत'' हैं।

उन्होंने चुनाव प्रशासन द्वारा को मामले में "आवश्यक कार्यवाही" शुरू करने के लिए हस्ताक्षरित घोषणापत्र भी मांगा। यह पूछे जाने पर कि क्या मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोप से निर्वाचन आयोग की छवि धूमिल हुई है, जिसने जांच के आदेश नहीं दिए हैं। राहुल गांधी द्वारा प्रामाणिक प्रमाण के साथ उठाए गए मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। विस्तृत जांच से ही सच्चाई सामने आएगी। अगर हम जो कह रहे हैं उसमें कोई सच्चाई नहीं है तो निर्वाचन आयोग को स्पष्ट रूप से ऐसा कहना चाहिए।

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