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Banke Bihari Temple Treasure : 54 साल बाद टूटा ताला, मथुरा के बांके बिहारी मंदिर का खोला गया सीक्रेट वॉल्ट

मथुरा: करीब 54 साल बाद खोला गया बांके बिहारी मंदिर का खजाना

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Banke Bihari Temple Treasure : मथुरा जिले में स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के 1971 से बंद ‘तोशाखाना' (खजाना) को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति के आदेश पर धनतेरस (शनिवार) को करीब 54 वर्षों बाद खोला गया। एक अधिकारी ने रविवार को इसकी पुष्टि की।

सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2025 के अपने आदेश में मंदिर के दैनिक कार्यों की देखरेख के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अशोक कुमार की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय उच्चाधिकार प्राप्त अंतरिम समिति का गठन किया था। अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) डॉ. पंकज कुमार वर्मा ने बताया कि दीवानी न्यायाधीश (जूनियर डिवीजन) की देखरेख में, चार गोस्वामी सदस्यों सहित अन्य सदस्यों के साथ खजाने के कमरे को खोला गया।

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उन्होंने बताया कि कमरा खोलने में कुछ कठिनाई हुई। प्रक्रिया अपराह्न एक बजे शुरू हुई और शाम पांच बजे समाप्त हुई। इसके बाद कमरे को दोबारा सील कर दिया गया। कमरे में कुछ पीतल के बर्तन, लकड़ी की वस्तुएं, कुछ बक्से और लकड़ी के संदूक मिले, लेकिन कोई कीमती धातु नहीं मिली। अधिकांश कार्य पूरा हो चुका है और शेष कार्य को पूरा करने के लिए दीवानी न्यायाधीश द्वारा तय की गई अगली तारीख को कमरा दोबारा खोला जा सकता है। ऑडिटर की टीम ने कमरे में मिली वस्तुओं की सूची बना ली है।

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हालांकि, गोस्वामी समुदाय इस कदम का विरोध कर रहा था। उच्चाधिकार प्राप्त समिति के एक सदस्य शैलेंद्र गोस्वामी ने कहा कि तोशाखाना खोला ही नहीं जाना चाहिए था। मैंने इस कदम का विरोध किया और इस संबंध में पत्र भी लिखे हैं। यह समिति एक अंतरिम समिति है, स्थायी नहीं। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इसका गठन केवल भक्तों के दर्शन की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए किया था। समिति को अन्य मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। वे अनुचित लाभ उठा रहे हैं और अधिकारों का अतिक्रमण कर रहे हैं। वे खजाना क्यों खोल रहे हैं, और इससे क्या साबित करना चाहते हैं?

सुप्रीम कोर्ट के वकील एवं मंदिर सेवायत सुमित गोस्वामी ने कहा कि इस तदर्थ समिति को तोशाखाना खोलने का अधिकार नहीं था। समिति को केवल यह देखना था कि ठाकुर जी के दर्शन भक्तों के लिए सुगम हों। इसके अलावा, उन्होंने दावा किया कि इस प्रक्रिया का सीधा प्रसारण नहीं किया गया। शैलेंद्र गोस्वामी ने कहा कि वीडियोग्राफी की गई थी। उन्होंने कहा कि उच्चाधिकार प्राप्त समिति के एक गोस्वामी सदस्य, श्रीवर्धन गोस्वामी स्वास्थ्य कारणों से उपस्थित नहीं थे। बांके बिहारी मंदिर के एक पदाधिकारी ज्ञानेंद्र गोस्वामी ने कक्ष के खोलने पर चिंता जताई और कहा कि यह प्रक्रिया अधिक पारदर्शी तरीके से होनी चाहिए थी। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि मीडिया को अनुमति क्यों नहीं दी गई?

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