Banke Bihari Temple : बांके बिहारी के दर्शन अब और होंगे सुगम, सरकार ने उठाया अहम कदम
Banke Bihari Temple Corridor : उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मंगलवार को कहा कि बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट के लिए अध्यादेश लाने का उसका उद्देश्य मथुरा के वृंदावन स्थित धार्मिक स्थल का बेहतर प्रशासन सुनिश्चित करना है। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को झटका देते हुए सोमवार को कहा था कि वह श्रद्धालुओं के लाभ के लिए वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर गलियारा विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना को 15 मई को दी गई मंजूरी को स्थगित रखेगा, क्योंकि इसमें मुख्य हितधारकों की बात नहीं सुनी गई।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने राज्य सरकार द्वारा ‘‘गुप्त तरीके से'' अदालत का दरवाजा खटखटाने के दृष्टिकोण की निंदा की थी और प्राचीन मंदिर का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के लिए उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 लाने की जल्दबाजी पर सवाल उठाया था। पीठ के समक्ष पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि 2025 के अध्यादेश का मंदिर प्रशासन के स्वामित्व के लंबित मुकदमे से कोई लेना-देना नहीं है।
नटराज ने कहा, ‘‘मैं शुरुआत में ही स्पष्ट कर दूं कि अध्यादेश का लंबित रिट याचिका से कोई लेना-देना नहीं है। मंदिर के बेहतर प्रशासन के लिए हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी और निर्देश पारित किए गए थे।'' उन्होंने कहा कि अध्यादेश मंदिर के बेहतर प्रशासन के लिए जारी किया गया था, जहां हर हफ्ते लगभग दो-तीन लाख श्रद्धालु आते हैं। इसके बाद पीठ ने नटराज से कहा कि उनकी दलीलें अच्छी हो सकती हैं, लेकिन यह तब दी जा सकती हैं जब अध्यादेश को चुनौती देने का मामला हाई कोर्ट में भेज दिया जाए।
नटराज ने राज्य सरकार का प्रस्ताव पीठ को सौंपा जिसकी समीक्षा करने पर पाया गया कि यह चार अगस्त को अदालत द्वारा दिए गए सुझाव के समान ही है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से आग्रह किया कि उन्हें मंदिर के प्रशासन के मुद्दे पर आठ अगस्त तक प्रस्ताव और सुझाव देने की अनुमति दी जाए। याचिकाकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 की वैधता को चुनौती दी है। पीठ ने मामले की सुनवाई आठ अगस्त के लिए स्थगित कर दी तथा याचिकाकर्ताओं को इस मुद्दे पर अपने सुझाव देने की अनुमति दे दी।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को श्री बांके बिहारी मंदिर गलियारे को विकसित करने की उत्तर प्रदेश सरकार की योजना का मार्ग प्रशस्त कर दिया था। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार की उस याचिका को स्वीकार कर लिया था जिसमें कहा गया था कि श्री बांके बिहारी मंदिर की निधि का इस्तेमाल केवल मंदिर के आसपास पांच एकड़ भूमि खरीदने और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बनाये गये निरुद्ध क्षेत्र (होल्डिंग एरिया) बनाने के लिए किया जाए। न्यायालय ने हालांकि कहा था कि मंदिर और गलियारा बनाने के लिए अधिग्रहीत की जाने वाली भूमि देवता/ट्रस्ट के नाम पर होनी चाहिए।