सत्य प्रकाश/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 24 अप्रैल
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हरियाणा के यमुनानगर जिले में कलेसर वन्यजीव अभयारण्य के अंदर चार प्रस्तावित बांधों के निर्माण पर रोक लगा दी। एडवोकेट गौरव बंसल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने केंद्र और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
बंसल ने कलेसर वन्यजीव अभयारण्य के भीतर चार बांधों- चिकन, कांसली, खिल्लनवाला और अंबावली के निर्माण को चुनौती दी है। कहा गया कि इससे क्षेत्र में वनस्पतियों और जीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, ‘अदालत के कोई निर्देश से पहले बांधों के निर्माण के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाएगा।’
पीठ ने कहा कि बांधों का निर्माण न केवल वन्यजीवों और आबादी के लिए, बल्कि कलेसर में पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी हानिकारक है। पीठ में जस्टिस संदीप मेहता भी शामिल हैं। एडवोकेट बंसल ने दलील दी कि नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) की रिपोर्ट का संज्ञान लिए बिना वन्यजीव अभयारण्य के अंदर बांध बनाने की अनुमति दे दी। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूआईआई ने ‘कलेसर वन्यजीव अभयारण्य, हरियाणा में प्रस्तावित छोटे बांधों की व्यवहार्यता’ के अध्ययन रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा है कि प्रस्तावित बांध से यहां की जैव विविधता पर असर पड़ेगा। हरियाणा के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन के एक पत्र का हवाला देते हुए, बंसल ने कहा कि विभिन्न वन्य प्रजातियों के मौजूदा पैटर्न पर इसका असर पड़ेगा।
13209 एकड़ क्षेत्र और कई खूबियां
13 दिसंबर, 1996 को अधिसूचित कलेसर वन्यजीव अभयारण्य 13209 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी में स्थित इसकी सीमा उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से लगती है। पूरा क्षेत्र जैव विविधता से भरा हुआ है। यहां घने साल, खैर के जंगल हैं। राजाजी राष्ट्रीय उद्यान से बाघ और हाथी यहां आते हैं। वहां पाए जाने वाले अन्य जानवरों में मॉनिटर छिपकली, ग्रे-हुडेड वार्बलर, किंग कोबरा, क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, पायथन, चीतल, सांभर, बार्किंग डियर, ब्लू मैगपाई और तेंदुआ शामिल हैं।