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Axiom-4 Mission : 3 घंटे तक खुद के इर्द-गिर्द घूमे शुभांशु शुक्ला, नमूने जुटाने का अनोखा तरीका

‘लिफ्ट-ऑफ' से तात्पर्य रॉकेट का पृथ्वी की सतह से अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरना है
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Axiom-4 Mission : अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर अपने 18 दिनों के प्रवास के दौरान किए गए सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण प्रयोगों के नमूने निकालने के लिए तीन घंटे तक अपने ही चारों ओर घूमना पड़ा था।

यहां सशक्त विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार सम्मेलन (ईएसटीआईसी) में शुक्ला ने कक्षीय प्रयोगशाला में बिताए समय, ‘लिफ्ट-ऑफ' और ‘स्प्लैशडाउन' के दौरान ‘जी-फोर्स' के अनुभव, शून्य गुरुत्व की अनुभूति व अंतरिक्ष यात्रा के बाद पृथ्वी पर जीवन में फिर से ढलने के अनुभव की झलक साझा की। ‘लिफ्ट-ऑफ' और ‘स्प्लैशडाउन' अंतरिक्ष यात्रा के दो अलग-अलग चरण हैं।

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‘लिफ्ट-ऑफ' से तात्पर्य रॉकेट का पृथ्वी की सतह से अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरना है। ‘स्प्लैशडाउन' एक अंतरिक्ष यान का पैराशूट की सहायता से किसी समुद्री क्षेत्र में उतरना है। शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन पर अपने एक घंटे के भाषण में कहा, ‘‘मेरा उद्देश्य आपको अपने साथ इस यात्रा पर ले जाना और सुनना है कि मैंने क्या अनुभव किया है, ताकि आप इसे (अंतरिक्ष उड़ान) मेरे साथ महसूस कर सकें।

शुक्ला ने बताया कि उन्होंने एक थैली से नमूने निकालने के लिए सिरिंज का इस्तेमाल करते हुए कम से कम तीन घंटे खुद को घुमाया, ताकि यह अध्ययन किया जा सके कि सूक्ष्म शैवाल, जो घने पोषण का स्रोत है, अंतरिक्ष में कैसे बढ़ता है। ‘‘पृथ्वी पर, जब किसी सिरिंज में हवा का बुलबुला होता है, तो आप उसे थोड़ा सा दबा सकते हैं। हवा का बुलबुला बाहर निकल जाएगा, या थैली को उल्टा कर दें और वह ऊपर आ जाएगी।

हालांकि अंतरिक्ष में ऐसा नहीं होता। शुक्ला को एक थैली से सूक्ष्म शैवाल प्रयोग के नमूने एकत्र करने थे और उन्हें एक छोटे से बॉक्स में भरकर फ्रीजर में रखना था, ताकि उन्हें पृथ्वी पर वापस लाया जा सके। जब बुलबुला होता है, तो एकमात्र चीज जो काम करती है, वह यह है कि आपको स्वयं सेंट्रीफ्यूज बनना पड़ता है। उन्हें प्रत्येक नमूने के लिए सेंट्रीफ्यूजिंग के चार-पांच चक्कर लगाकर 36 नमूने एकत्र करने पड़े। तो, बिना हवा के नमूने निकालने के लिए मुझे इतने चक्कर लगाने पड़े। नमूने निकालने और उन्हें छोटे डिब्बों में रखने के लिए मुझे तीन घंटे तक लगातार चक्कर लगाना पड़ा।

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