विदेश में बसे भारतीय मूल के शिक्षकों या शोधकर्ताओं को वापस बुलाकर भारतीय संस्थानों में पढ़ाने या शोध करने की सरकार की योजना जोर पकड़ रही है। अतीत में इसी प्रकार की योजना पर विचार किया गया था, लेकिन इसमें प्रक्रियागत विलंब और अनिश्चितताओं सहित कई बाधाएं आईं। अमेरिका में हाल के घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में इस योजना पर नए सिरे से विचार किया जा रहा है। अमेरिका में इनमें से ज्यादातर संकाय सदस्य या वैज्ञानिक कार्यरत हैं।
सूत्रों के अनुसार, शिक्षा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालयों के परामर्श से एक योजना तैयार की जा रही है, जिसका उद्देश्य महत्वपूर्ण शैक्षणिक कार्य करने वाले भारतीय मूल के ऐसे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को वापस बुलाना है, जो शोध या अध्यापन के लिए भारत में एक निश्चित अवधि बिताने के इच्छुक हैं।
एक सूत्र ने कहा, ‘आईआईटी पहले से ही प्रतिष्ठित विदेशी संकायों को आकर्षित करने का प्रयास कर रही हैं, जिनमें भारतीय मूल के वे संकाय सदस्य भी शामिल हैं जो अब विदेश में बस गए हैं या उनका अधिकांश कार्य वहीं है।’ इस महीने की शुरुआत में, व्हाइट हाउस ने कम से कम नौ अमेरिकी विश्वविद्यालयों से एक समझौते पर हस्ताक्षर करने को कहा था, जिसमें ट्रंप प्रशासन की उच्च शिक्षा से संबंधित प्राथमिकताओं को बनाए रखने या संघीय सरकार से मिलने वाले अनुदान तक प्राथमिक पहुंच गंवाने का जोखिम उठाना शामिल है।
वर्तमान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ‘विजिटिंग एडवांस्ड जॉइंट रिसर्च’ संकाय योजना का संचालन कर रहा है। इस योजना का उद्देश्य विदेशों में रहने वाले वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों को कुछ समय के लिए बुलाना है जिनमें भारतीय मूल के लोग (एनआरआई और ओसीआई) भी शामिल हैं।