अदालत में सीजेआई की तरफ जूता उछालने की कोशिश
आरोपी वकील की पहचान मयूर विहार निवासी राकेश किशोर (71) के रूप में की गयी। वह मंच के पास पहुंचा, अपना जूता निकाला और उसे न्यायाधीशों की ओर उछालने का प्रयास किया। अदालत कक्ष में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और हमले को रोका। जूता उछालने वाले को तुरंत अदालत परिसर से बाहर ले जाया गया। इस दौरान उसे चिल्लाते हुए सुना गया, ‘सनातन का अपमान नहीं सहेंगे’।
पुलिस मामले की जांच कर रही है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस कृत्य को दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय बताते हुए इसे सोशल मीडिया पर गलत सूचना का परिणाम एवं सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा, ‘सीजेआई ने दरियादिली के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की... मैं केवल यही आशा करता हूं कि इस दरियादिली को अन्य लोग संस्था की कमजोरी के रूप में न देखें।’ मेहता ने कहा, ‘मैंने व्यक्तिगत रूप से सीजेआई गवई को सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों पर पूरी श्रद्धा के साथ जाते देखा है। सीजेआई ने भी इस स्थिति को स्पष्ट किया है।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीजेआई गवई से बात की और कहा कि उन पर हुए हमले से हर भारतीय नाराज है। मोदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘हमारे समाज में ऐसे भर्त्सनायोग्य कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है। यह पूरी तरह से निंदनीय है। मैं ऐसी स्थिति में न्यायमूर्ति गवई द्वारा प्रदर्शित धैर्य की सराहना करता हूं। यह हमारे संविधान की भावना को मजबूत करने तथा न्याय के मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।’ इस बीच, बीसीआई ने आरोपी वकील का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने इस घटना को ‘पूरी संस्था पर हमला’ करार दिया। जयसिंह ने कहा, ‘मैं इसे प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ जातिवादी टिप्पणी मानती हूं.... इस पर सर्वोच्च न्यायालय से कानूनी प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।’
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह न्यायपालिका की गरिमा और कानून के शासन पर हमला है।
विष्णु मूर्ति मामले में की थी टिप्पणी
यह घटना पिछले महीने खजुराहो में विष्णु भगवान की मूर्ति की पुनर्स्थापना के संबंध में हुई सुनवाई के दौरान सीजेआई की टिप्पणियों से संबंधित मानी जा रही है। सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने खजुराहो मंदिर परिसर के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट की मूर्ति के पुनर्निर्माण और उसे पुनः स्थापित करने के निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। उन्हाेंने कहा था, ‘यह पूरी तरह से प्रचार पाने के लिए दायर याचिका है... जाकर स्वयं भगवान से कुछ करने के लिए कहिए।’ अपनी टिप्पणियों की सोशल मीडिया पर हुई आलोचना के बाद सीजेआई ने कहा था कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।