मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

Army Discipline सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक अनुष्ठान में शामिल न होने पर ईसाई सेना अधिकारी की बर्खास्तगी बरकरार रखी

गुरुद्वारा सबसे धर्मनिरपेक्ष स्थल, अधिकारी का रवैया अन्य धर्मों का अपमान : SC
Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भारतीय सेना के एक ईसाई अधिकारी की बर्खास्तगी को सही ठहराया। अधिकारी ने पंजाब स्थित कैंटोनमेंट क्षेत्र में रेजिमेंट द्वारा आयोजित ‘सर्व धर्म’ अनुष्ठान में भाग लेने से इनकार कर दिया था। अदालत ने इस व्यवहार को सेना में अनुशासनहीनता का गंभीर उदाहरण बताया।

लेफ्टिनेंट सैमुअल कमलेसन सिख, जाट और राजपूत जवानों की टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे। आरोप था कि उन्होंने ‘सर्व धर्म स्थल’ में प्रवेश करने से मना कर दिया। उनका कहना था कि वहां गुरुद्वारा और मंदिर मौजूद हैं और प्रोटेस्टेंट ईसाई विश्वास के अनुसार वे ऐसे धार्मिक स्थलों के गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर सकते।

Advertisement

मुख्य न्यायाधीश सुर्या कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि एक सेना अधिकारी का ऐसा रवैया यूनिट की एकजुटता और जवानों के मनोबल को प्रभावित करता है। पीठ ने यह भी बताया कि एक पादरी द्वारा समझाने के बाद भी अधिकारी अनुष्ठान में शामिल होने के लिए तैयार नहीं हुए। अदालत ने इसे ‘अनुशासनहीनता का बेहद गंभीर रूप’ करार दिया।

लेफ्टिनेंट कमलेसन 2017 में सेना में भर्ती हुए थे और तीसरी कैवेलरी रेजिमेंट में तैनात थे। वर्ष 2021 में उन्हें बर्खास्त किया गया। इस साल 30 मई को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी उनकी बर्खास्तगी को सही ठहराया था।

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि अधिकारी गर्भगृह में जाने को तैयार थे, लेकिन उन पर किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को थोपे नहीं जा सकता। उनका कहना था कि विवाद एक वरिष्ठ अधिकारी के लगातार दबाव की वजह से पैदा हुआ।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को स्वीकार नहीं किया। पीठ ने टिप्पणी की कि गुरुद्वारा सबसे धर्मनिरपेक्ष स्थलों में माना जाता है और अधिकारी का रवैया अन्य धर्मों के प्रति असम्मान दर्शाता है।

 

 

Advertisement
Tags :
‘सेनाarmyDisciplineSarva DharmaSupreme Courtअनुशासनईसाई अधिकारीधार्मिक अनुष्ठानसुप्रीम कोर्ट
Show comments