अजय बनर्जी
ट्रिब्यून न्यूज़ सर्विस
नयी दिल्ली, 4 नवंबर
सेना ने समय से पहले सेवानिवृत्ति चुनने वाले अधिकारियों के लिए पेंशन घटाने और सैन्य अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। हालांकि यह प्रस्ताव पहले ही विवादों के घेरे में आ गया है क्योंकि इससे पेंशन फार्मूला एक तरह से बदल जाएगा और जो अब सेवानिवृत्त होने वाले हैं उनकी वित्तीय स्थिति को प्रभावित कर सकता है। सैन्य कानून के जानकार एक वरिष्ठ वकील के मुताबिक डिपार्टमेंट आफ मिलिटेरी अफेयर (डीएमए) द्वारा किये जा रहे पेंशन फॉर्मूला में बदलाव को अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
डीएमए जनरल बिपिन रावत की अध्यक्षता में नवगठित इकाई है जो रक्षा मंत्रालय (एमओडी) और सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना के बीच मानव संसाधन और समन्वय के मुद्दों पर काम करती है। डीएमए कार्यालय द्वारा 29 अक्तूबर को भेजे एक पत्र में कहा गया है कि एक सरकारी मंजूरी पत्र (जीएसएल) का एक मसौदा जनरल रावत की समीक्षा के लिए 10 नवंबर तक तैयार किया जा रहा है। इस पत्र में कर्नल, ब्रिगेडियर और मेजर जनरलों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर क्रमशः 57 वर्ष, 58 वर्ष और 59 साल करने का प्रस्ताव है। वहीं यह फार्मूला नौसेना और भारतीय वायुसेना में समान रैंक के अधिकारियों पर लागू होगा। कर्नल, ब्रिगेडियर और मेजर जनरल के लिए मौजूदा सेवानिवृत्ति की आयु क्रमशः 54 वर्ष, 56 वर्ष और 58 वर्ष है।
प्रस्ताव के अनुसार, 20-25 साल की सेवा वाले अधिकारी को ‘कुल पेंशन का 50 प्रतिशत मिलेगा। दूसरे शब्दों में पेंशन को आधा कर दिया जाएगा। 26-30 वर्ष के लिए सेवा देने वाले अधिकारी को 60 प्रतिशत पेंशन मिलेगी; 30-35 वर्ष की सेवा करने वालों को 75 प्रतिशत पेंशन मिलेगी। केवल 35 वर्ष से अधिक की सेवा करने वाले ही पूरी पेंशन का हकदार होगा। ‘वन रैंक, वन पेंशन’ लागू होने के बाद से बढ़ते पेंशन बिल पर एक बहस चल रही है। 31 मार्च, 2021 को समाप्त वित्तीय वर्ष में, पेंशन बिल 1,33,819 करोड़ रुपये का है, जो कि एमओडी के कुल बजट 4,71,372 करोड़ रुपये का 28 प्रतिशत है।