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पश्चिम बंगाल के स्कूलों में 25,753 शिक्षकों की नियुक्ति अवैध : सुप्रीम कोर्ट

2016 की एसएससी भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं से जुड़ा मामला
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कोर्ट के फैसले से नौकरी जाने से मायूस सरकारी स्कूलों के शिक्षक। -प्रेट्र
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नयी दिल्ली, 3 अप्रैल (एजेंसी)

पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मियों की नियुक्ति को बृहस्पतिवार को अवैध करार दिया। कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले के संबंध में 127 याचिकाओं पर निर्णय सुनाते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘बड़े पैमाने पर हेराफेरी और धोखाधड़ी के साथ-साथ मामले को छिपाने के प्रयासों ने चयन प्रक्रिया को इतना नुकसान पहुंचाया कि उसे दुरुस्त नहीं किया जा सकता।’’

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प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि नियुक्तियों को रद्द करने संबंधी हाईकोर्ट के 22 अप्रैल 2024 के फैसले को कुछ संशोधनों के साथ हमें बरकरार रखना होगा। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि जिन कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द की गई हैं, उन्हें अब तक अर्जित वेतन और अन्य भत्ते वापस करने की जरूरत नहीं है। वहीं दिव्यांग कर्मचारियों को मानवीय आधार पर छूट देते हुए नौकरी में बने रहने को कहा। पीठ ने राज्य सरकार को नए सिरे से चयन प्रक्रिया शुरू करने और इसे 3 महीने में पूरा करने का भी आदेश दिया। पीठ ने सीबीआई की जांच संबंधी हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती देने वाली सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए 4 अप्रैल की तारीख तय की।

ये है मामला : ओएमआर शीट से की गई थी छेड़छाड़

मामला पश्चिम बंगाल एसएससी द्वारा आयोजित 2016 की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं से जुड़ा है, जिसमें 24,640 पदों के लिए 23 लाख उम्मीदवार शामिल हुए थे और 25,753 शिक्षकों व कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे। ओएमआर शीट से छेड़छाड़ और अनियमितताओं का हवाला देते हुए कोलकाता हाईकोर्ट ने इस नियुक्ति को अमान्य कर दिया था। पिछले साल 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए सीबीआई को जांच जारी रखने को कहा था। 19 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम सुनवाई शुरू की, 10 फरवरी को मामले से संबंधित कई याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। उक्त घोटाले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और तृणमूल कांग्रेस के विधायक माणिक भट्टाचार्य एवं जीवन कृष्ण साहा आरोपी हैं।

इधर, भाजपा ने की ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग

भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘शिक्षक भर्ती में इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की पूरी जिम्मेदारी राज्य की विफल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की है। उच्चतम न्यायालय के फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि ममता बनर्जी के शासन में कैसे पश्चिम बंगाल में शिक्षित बेरोजगार युवाओं की योग्यता को पैसे के बदले बेचा गया।’’ ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहिए।

ममता बोलीं- फैसला स्वीकार नहीं, पर पालन करूंगी

वह स्वीकार नहीं कर सकतीं। बनर्जी ने यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मानवीय दृष्टिकोण से कोर्ट का यह फैसला स्वीकार नहीं, लेकिन उनकी सरकार सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करते हुए कोर्ट के फैसले का पालन करेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा पश्चिम बंगाल की शिक्षा प्रणाली को ध्वस्त करना चाहती है।

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