LIC के अलावा अमेरिका बीमा फर्मों ने भी किया है अदाणी की कंपनियों में निवेश
LIC and Adani Group: अदाणी समूह (Adani Group) में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का निवेश अक्सर चर्चा में है, लेकिन ताज़ा आंकड़ों से पता चलता है कि अदाणी की कंपनियों में सबसे बड़े निवेश सिर्फ एलआईसी से नहीं, बल्कि...
LIC and Adani Group: अदाणी समूह (Adani Group) में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का निवेश अक्सर चर्चा में है, लेकिन ताज़ा आंकड़ों से पता चलता है कि अदाणी की कंपनियों में सबसे बड़े निवेश सिर्फ एलआईसी से नहीं, बल्कि कई अमेरिकी और वैश्विक बीमा कंपनियों (US and global insurance firms) से भी आए हैं।
जून 2025 में, अदाणी पोर्ट्स एंड एसईजेड (Adani Ports & SEZ) में एलआईसी ने करीब 5,000 करोड़ रुपये (57 करोड़ डॉलर) का निवेश किया। इसके सिर्फ एक महीने बाद, अमेरिका की एथेन इंश्योरेंस (Athene Insurance) ने मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (Mumbai International Airport) में 6,650 करोड़ रुपये (75 करोड़ डॉलर) का ऋण निवेश किया। इस निवेश में कई और अंतरराष्ट्रीय बीमा कंपनियां भी शामिल थीं।
एथेन की मूल कंपनी - अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट - ने 23 जून को एक बयान में कहा कि उसके प्रबंधित फंड, सहयोगी और अन्य दीर्घकालिक निवेशकों ने मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (मायल) के लिए 75 करोड़ डॉलर का ‘निवेश ग्रेड रेटेड वित्तपोषण' पूरा कर लिया है। यह अपोलो द्वारा मायल के लिए दूसरा बड़ा वित्तपोषण था।
अन्य कोष जुटाने में अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड द्वारा डीबीएस बैंक, डीजेड बैंक, राबोबैंक और बैंक सिनोपैक कंपनी लिमिटेड सहित वैश्विक ऋणदाताओं के एक समूह से लगभग 25 करोड़ डॉलर जुटाना शामिल था।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की अगस्त की एक रिपोर्ट के अनुसार, समूह ने वर्ष की पहली छमाही में बंदरगाह इकाई (एपीएसईजेड), नवीकरणीय ऊर्जा इकाई (एजीईएल), प्रमुख कंपनी (अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड) और बिजली पारेषण इकाई (अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड) में कुल मिलाकर 10 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की नई ऋण सुविधाओं पर हस्ताक्षर किए।
‘वॉशिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वैश्विक निवेशकों की हिचकिचाहट के बीच सरकारी अधिकारियों ने एलआईसी के निवेश निर्णयों को प्रभावित किया। इससे अदाणी समूह में एलआईसी का निवेश सुर्खियों में आ गया।
शनिवार को, एलआईसी ने इस रिपोर्ट को ‘झूठा, निराधार और सच्चाई से कोसों दूर' बताया और कहा कि अदाणी समूह की कंपनियों में उसका निवेश स्वतंत्र रूप से और विस्तृत जांच-पड़ताल के बाद उसके निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित नीतियों के अनुसार किया गया था।
भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में, बुनियादी बातों और विस्तृत जांच-पड़ताल के आधार पर विभिन्न कंपनियों में निवेश के फैसले लिए हैं। भारत की शीर्ष 500 कंपनियों में इसका निवेश मूल्य 2014 से 10 गुना बढ़कर 1.56 लाख करोड़ रुपये से 15.6 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो मजबूत कोष प्रबंधन को दर्शाता है।
अदाणी समूह में इसका निवेश समूह के कुल 2.6 लाख रुपये के कर्ज के दो प्रतिशत से भी कम है। इसके अलावा, अदाणी एलआईसी की सबसे बड़ी होल्डिंग नहीं है - रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, आईटीसी और टाटा समूह हैं। एलआईसी के पास अदाणी के चार प्रतिशत (60,000 करोड़ रुपये मूल्य के) शेयर हैं, जबकि रिलायंस में 6.94 प्रतिशत (1.33 लाख करोड़ रुपये), आईटीसी लिमिटेड में 15.86 प्रतिशत (82,800 करोड़ रुपये), एचडीएफसी बैंक में 4.89 प्रतिशत (64,725 करोड़ रुपये) और एसबीआई में 9.59 प्रतिशत (79,361 करोड़ रुपये) शेयर हैं।
एलआईसी के पास टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) में 5.02 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जिसका मूल्य 5.7 लाख करोड़ रुपये है। एलआईसी के पूर्व चेयरमैन सिद्धार्थ मोहंती ने कहा कि सरकार एलआईसी के किसी भी निवेश निर्णय में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप नहीं करती है।
अदाणी समूह के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) जुगेशिंदर सिंह ने प्रकाशन पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘वित्त के बारे में ‘वॉशिंगटन पोस्ट' का लिखना ऐसा है जैसे मैं और जेफ बेजोस यह लिख रहे हों कि पूरे सिर पर बाल कैसे रखें - 100 प्रतिशत मूर्खता।' सिंह और बेजोस दोनों के सिर पर बाल नहीं हैं।
अदाणी के अधिकारियों ने कहा कि लेख में तथ्यात्मक त्रुटियां थीं और बताया गया कि पुनर्वित्त की कोई ज़रूरत नहीं थी। इसके बजाय, कंपनी ने जून में कर्ज का समयपूर्व भुगतान करने के लिए 45 करोड़ अमेरिकी डॉलर का पुनर्खरीद कार्यक्रम शुरू किया।
विश्लेषकों का कहना है कि वैश्विक बीमा कंपनियां स्थिर रिटर्न के कारण बुनियादी ढांचे की परिसंपत्तियों में तेजी से निवेश कर रही हैं, और अदाणी समूह के नेतृत्व में भारत का तेजी से बढ़ता बुनियादी ढांचा क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी दिलचस्पी दिखा रहा है।

