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सुहाना सफर अन्नू कपूर का

पिता की ड्रामा कंपनी में काम करने के लिए छोड़ दिया आईएएस बनने का सपना
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मोना/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 10 जुलाई

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बुल्ले शाह के शब्दों को उद्धृत करते हुए अभिनेता-एंकर अन्नू कपूर ने बृहस्पतिवार को अपनी सच्ची पंजाबी पहचान दिखाई। वे यहां चंडीगढ़ प्रेस क्लब के 45 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित ‘मीट एंड ग्रीट’ में संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने अपनी कुशाग्र बुद्धि और हास्य से बरसात की सुबह को रोशन कर दिया। उन्होंने बताया कि उन्हें अपने पिता की ड्रामा कंपनी में काम करने के लिए आईएएस बनने का सपना छोड़ना पड़ा। जीवनयापन के लिए शुरू हुई यह लड़ाई उन्हें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) में ले गई, जहां से मुंबई में उनके आगे के संघर्ष का मार्ग प्रशस्त हुआ।

दो राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करने वाले अन्नू कपूर का एफएम रेडियो पर ‘सुहाना सफर विद अन्नू कपूर’ कार्यक्रम बेहद लोकप्रिय है। प्रेरणास्रोत के प्रश्न पर वह कहते हैं कि वह किसी अभिनेता से नहीं, बल्कि अपने आस-पास के लोगों से प्रेरणा लेते हैं। ‘मैं वास्तविक जीवन का अध्ययन करता हूं, हर किसी से सीखता हूं।’

नायक और चरित्र अभिनेता के बीच अंतर करते हुए, वह बताते हैं कि कैसे ‘नायक’ अपनी शैली के बल पर और चरित्र अभिनेता वास्तविकता का आभास देने की अपनी क्षमता के बल पर फलते-फूलते हैं।

दिलचस्प बात यह है कि उनका असली नाम अनिल कपूर था, लेकिन जब उन्होंने इंडस्ट्री में कदम रखा तो उसी नाम के एक हीरो पहले से ही मौजूद थे, इसलिए उन्होंने अपना नाम ‘अन्नू’ रख लिया। उन्होंने कहा,’कोई कितना भी अच्छा कैरेक्टर एक्टर क्यों न हो, हमारी इंडस्ट्री में हीरो से छोटा ही रहता है।’

भले ही वह पर्दे पर ‘हीरो’ बनकर न आए हों, लेकिन उनकी असल लव लाइफ पूरी तरह से फिल्मी है। उन्हें अपनी पत्नी से पहली मुलाकात की बात स्पष्ट याद है। ‘यह 31 मार्च, 1992 की बात है, मैं उनसे शाम पांच बजे मिला था। 5.35 बजे तक मैंने उन्हें प्रपोज़ कर दिया था। 17 दिनों में हमारी शादी हो गई।’ उनके दाम्पत्य जीवन के तीन दशक से ज़्यादा हो चुके हैं। वह मज़ाक में कहते हैं, ‘वह बस मेरे मरने का इंतज़ार कर रही है, उसके बाद ही वह अमेरिका वापस जा पाएगी।’

उन्होंने कुछ शायरी, कुछ गाने और कई किस्से सुनाकर उपस्थित लोगों का मनोरंजन किया। हालांकि लोग उनके अभिनय कौशल के बारे में जानते हैं, लेकिन उनके निर्देशन ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता, यह कम ही लोगों को पता है।

‘अभय - द फियरलेस’ नाना पाटेकर, बेंजामिन गिलानी और मुनमुन सेन अभिनीत बच्चों की एक फिल्म है। इस फिल्म ने 42वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ बाल फिल्म का पुरस्कार जीता। विकी डोनर के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।

अभी भी वह लगातार काम कर रहे हैं और चमक रहे हैं। 2024 में जहां ‘हमारे बारह’ और ‘शैतान’ सहित पांच फ़िल्में रिलीज़ हुईं, वहीं 2025 में ‘जॉली एलएलबी-3’ फ़िल्म रिलीज़ होगी।

71 साल के हो चुके इस युवा दिल में एक युवा जैसा उत्साह और जुनून है। दुनिया भर में शो होस्ट करते हुए उनका आगे बढ़ने का जोश संक्रामक है।

दिलजीत को ऐसा नहीं करना चाहिए था...

हालांकि अन्नू कपूर मानते हैं कि वे कोई फ़िल्म नहीं देखते, टीवी डिबेट नहीं सुनते और कोई अख़बार नहीं पढ़ते, फिर भी उनसे पूछे गए किसी भी सवाल का वे खुशी-खुशी जवाब देते हैं। दिलजीत दोसांझ के पाकिस्तानी अभिनेत्री हानिया आमिर के साथ काम करने के बारे में वे कहते हैं,‘दिलजीत एक बहुत ही सफल व्यक्ति हैं, उन्हें बेहतर पता होना चाहिए था कि ऐसा नहीं करना चाहिए।’ उन्होंने अपनी 2012 की फ़िल्म 'गली चोर है' के बारे में भी बात की, जिसमें पाकिस्तानी अभिनेत्री वीना मलिक के साथ एक डांस नंबर था। उन्होंने कहा,‘मैं अपने 2012 के रुख़ पर कायम हूं , दोनों देशों के बीच मौजूदा हालात सौहार्दपूर्ण नहीं हैं, इसलिए हमें माफ़ करें, हम साथ काम नहीं कर सकते।’ देश में उठ रहे भाषा के मुद्दे पर, वे कहते हैं, ‘मैं पंजाबी और मराठी बोलता हूं, लेकिन अगर मैं या कोई भी अगर ये भाषाएं नहीं बोल पाता, तो इसका यह मतलब नहीं की हिंसा की जाए। इस मामले में क़ानून को अपना काम करना चाहिए।’

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