आनंद कारज : सिख विवाह के पंजीकरण नियम 4 माह में करें अधिसूचित
सुप्रीम कोर्ट ने कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे चार महीने के भीतर ‘आनंद कारज’ या सिख विवाह के पंजीकरण नियम अधिसूचित करें। शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘आनंद कारज’ के माध्यम से होने वाले विवाहों को अन्य विवाहों के समान ही दर्ज और प्रमाणित किया जाए।
जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने चार सितंबर के अपने आदेश में कहा कि जब कानून ‘आनंद कारज’ को विवाह के वैध प्रकार के रूप में मान्यता देता है, फिर भी इसे पंजीकृत करने के लिए कोई तंत्र प्रदान नहीं करता, तो ‘वादा केवल आधा ही निभाया गया’ माना जाएगा। इसमें कहा गया, ‘अब यह सुनिश्चित करना बाकी है कि रस्म से लेकर रिकॉर्ड तक का मार्ग खुला, एकरूप और
निष्पक्ष हो।’
शीर्ष अदालत ने यह आदेश एक याचिका पर पारित किया, जिसमें विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आनंद विवाह अधिनियम, 1909 (2012 में संशोधित) की धारा 6 के तहत नियम बनाने और अधिसूचित करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था, ताकि सिख रीति-रिवाज से होने वाले विवाहों के पंजीकरण की सुविधा मिल सके।