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हर 40 दिन में नौसेना में शामिल हो रहा स्वदेशी युद्धपोत या पनडुब्बी : एडमिरल त्रिपाठी

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने मंगलवार को कहा कि नौसेना में हर 40 दिन में एक नया स्वदेशी युद्धपोत या पनडुब्बी शामिल की जा रही है। उन्होंने सुरक्षा संबंधी विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए समुद्री क्षेत्र में...
एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी। -प्रेट्र
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नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने मंगलवार को कहा कि नौसेना में हर 40 दिन में एक नया स्वदेशी युद्धपोत या पनडुब्बी शामिल की जा रही है। उन्होंने सुरक्षा संबंधी विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए समुद्री क्षेत्र में संप्रभु क्षमता निर्माण के प्रयासों को भी रेखांकित किया।एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय नौसेना ने आत्मनिर्भरता को न केवल रणनीतिक अनिवार्यता के रूप में अपनाया है, बल्कि भविष्य के आश्वासन के लिए एक निवेश के रूप में भी अपनाया है। उन्होंने कहा कि बल का लक्ष्य 2035 तक 200 से अधिक युद्धपोतों और पनडुब्बियों का संचालन करना है। नौसेना प्रमुख ने भारत शक्ति द्वारा आयोजित भारत रक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसी भी समुद्री शक्ति के लिए आत्मनिर्भरता, तालमेल और सुरक्षा को तीन प्रमुख स्तंभों के रूप में चिह्नित किया।

उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना अपनी समग्र शक्ति को बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा, ‘हम 2035 तक 200 से अधिक जहाजों वाली नौसेना बनना चाहते हैं, इसलिए हमारे सभी 52 जहाज, जिनका ऑर्डर अभी दिया गया है।' उन्होंने कहा, ‘पोतों से आगे बढ़ते हुए, हमारा उद्देश्य आत्मनिर्भरता को विस्तृत डिजाइन और सॉफ्टवेयर स्तर तक ले जाना और 2047 तक पूरी तरह से आत्मनिर्भर बल का निर्माण करना है।' भारतीय नौसेना वर्तमान में लगभग 145 पोतों और पनडुब्बियों का संचालन करती है।

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एडमिरल त्रिपाठी ने अपने संबोधन में भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए स्थानीय स्तर पर विकसित रक्षा क्षमताओं की आवश्यकता को रेखांकित किया और दलील दी कि स्वदेशी ताकत युद्धक्षेत्रों से कहीं आगे तक फैली हुई है। उन्होंने कहा, ‘यह अब औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र, नवाचार श्रृंखलाओं और सूचना नेटवर्कों से जुड़ा हुआ है, जहां सेमीकंडक्टर पनडुब्बियों की तरह ही निर्णायक हो सकते हैं, और सुरक्षित समुद्री मार्ग जितना ही सुरक्षित संपर्क भी महत्वपूर्ण है।'

 

 

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