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सनातन के प्रहरियों का अमृत स्नान

महाकुंभ में मकर संक्रांति पर 3.50 करोड़ लोगों ने लगाई डुबकी
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प्रयागराज में मंगलवार को मकर संक्रांति के दौरान संगम पर स्नान के लिए उमड़ा जनसैलाब।
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हरि मंगल

महाकुंभनगर : प्रयागराज महाकुंभ में मकर संक्रांति पर देश-विदेश से आये करोड़ों साधु संतों तथा श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और अगोचर सरस्वती के पावन संगम में आस्था, उल्लास के साथ स्नान किया। मुख्य आकर्षण अखाड़ों का अमृत स्नान था, जो प्रातः 5:15 से देर शाम तक चलता रहा। हर हर महादेव का उद‍्घोष करते अखाड़ों के संतों और संन्यासियों की एक झलक पाने के लिए लाखों लोग भोर से संगम घाट के रास्ते में जमा हो गये थे। मेला प्रशासन के मुताबिक मंगलवार को 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।

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सनातन धर्म से जुड़े सभी 13 अखाड़ों द्वारा कुंभ और महाकुंभ में तीन प्रमुख स्नान पर्वों- मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी पर संगम स्नान की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसे शाही स्नान के नाम से जाना जाता रहा है, क्योंकि अखाड़ों के साधु संत और नागा संन्यासी शाही अंदाज में स्नान के लिए जाते हैं। महाकुंभ आयोजन से कुछ माह पूर्व अखाड़ा परिषद समेत कई प्रमुख धर्माचार्यों द्वारा ‘शाही’ शब्द को गुलामी का प्रतीक बताते हुए उसके स्थान पर ‘अमृत स्नान’ शब्द का चयन किया गया है। नये नामकरण के बाद आज पहले अमृत स्नान के समय अखाड़ों के धर्माचार्य, साधु संत और नागा संन्यासियों का अंदाज एकदम निराला था।

सबसे पहले शैव संन्यासी सम्प्रदाय के महानिर्वाणी और अटल, दूसरे चरण में निरंजनी और आनंद अखाड़ा तथा तीसरे चरण में सबसे बड़े अखाड़े पंच दशनाम जूना अखाड़ा के साथ आवाहन और पंचाग्नि अखाड़ा के संत और नागा संन्यासी स्नान के लिए निकले। अखाड़ों की इस अमृत स्नान यात्रा में सबसे आगे उनके इष्ट देवता रथों पर सवार होकर चल रहे थे, उसके पीछे सुसज्जित रथों पर सवार आचार्य महामंडलेश्वर के साथ अन्य प्रमुख संत थे। कुछ नागा संन्यासी घोड़ों पर सवार थे। शरीर पर भस्म लगाये नागा संन्यासियों के गले में माला और हाथों में त्रिशूल, भाला, शंख व डमरू थे। नागा संन्यासी अति उल्लास और उमंग में तरह-तरह के करतब दिखा रहे थे। इस यात्रा में अखाड़ों से जुड़े विदेशी धर्माचार्य भी रथों पर सवार थे।

बड़ी संख्या में महिला संन्यासी भी अपने अखाड़ों के साथ थीं। सबसे ज्यादा महिला नागा संन्यासी जूना अखाड़े में हैं। तमाम श्रद्धालुओं में गुरु के रथ को पकड़ कर चलने अथवा छूने की होड़ लगी थी। सनातन धर्म के इन प्रहरी संतों और नागा संन्यासियों तथा श्रद्धालुओं पर एक ओर सरकार द्वारा हेलीकाॅप्टर से पुष्प वर्षा की जा रही थी, तो दूसरी ओर तमाम श्रद्धालु नागा संन्यासियों पर फूल बरसा रहे थे। अखाड़े के संत प्रसन्न मुद्रा में श्रद्धालुओं को हाथ उठा कर आशीर्वाद दे रहे थे। जैसे ही अखाड़ों का दल आगे बढ़ता, तमाम श्रद्धालु बैरीकेडिंग को फांद कर चरण रज के लिए उमड़ पड़ते।

किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और महामंडलेश्वर टीना माता के नेतृत्व में बड़ी संख्या में किन्नर संत भी सुबह ही जूना अखाड़ा के शिविर में पहंुच गयीं, जहां से वह जूना अखाड़ा के साथ अमृत स्नान के लिये गये। उल्लेखनीय है कि किन्नर अखाड़ा को अलग से मान्यता नहीं मिली है। जूना अखाड़े ने उन्हें अपने साथ रखा है।

स्नान के क्रम में पहले शैव संन्यासी के सात अखाड़े, उसके बाद बैरागी के तीन अखाड़े और आखिरी चरण में उदासीन सम्प्रदाय के तीनों अखाड़ों का समय निर्धारित किया गया था। सबसे आखिर में उदासीन सम्प्रदाय के निर्मल अखाड़े के संतों ने अमृत स्नान किया। अखाड़ों के अमृत स्नान के लिए संगम घाट को रिजर्व रखा गया था। अलग से अखाड़ा मार्ग बनाया गया।

स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन को नाम मिला ‘कमला’

महाकुंभ नगर (एजेंसी) : एप्पल कंपनी के सह संस्थापक दिवंगत स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स को महाकुंभ मेले में उनके गुरु स्वामी कैलाशानंद ने नया हिंदू नाम दिया है ‘कमला’। अरबपति महिला कारोबारी लॉरेन ने सोमवार को संगम में डुबकी लगाई थी। फोटो : एएनआई

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