‘चक दे इंडिया’ के कबीर खान की याद दिलाते हैं अमोल मजूमदार
लगभग पांच दशक के इंतजार के बाद भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने जब पहली बार विश्व कप थामा तो खिलाड़ियों के साथ पूरा देश खुशी से झूम उठा, लेकिन वहीं मैदान पर खड़े एक इंसान की आंखों में आंसू, चेहरे पर मुस्कुराहट के साथ संतोष का भाव था, मानो यह जीत कई पुराने जख्मों पर मरहम लगा गई। यह थे भारतीय महिला टीम के कोच अमोल मजूमदार।
घरेलू क्रिकेट में 20 सत्र और 11000 से अधिक प्रथम श्रेणी रन बनाने के बावजूद भारत की जर्सी पहनने का उनका सपना अधूरा ही रहा। बतौर खिलाड़ी कई बार दिल टूटा, कई मलाल रह गए, लेकिन इस जीत ने उनके सफर को मुकम्मिल कर दिया। कप्तान हरमनप्रीत कौर ने जीत के बाद ‘गुरु’ मजूमदार के पैर छूए और गले लगकर रो पड़ी तो टीवी के आगे नजरे गड़ाये जीत का जश्न देख रहे हर क्रिकेटप्रेमी की आंख भी भर आई। इसी महीने अपना 51वां जन्मदिन मनाने जा रहे मजूमदार की कहानी शाहरुख खान की फिल्म ‘चक दे इंडिया’ के हॉकी कोच कबीर खान की याद दिलाती है, जो हर कयास को गलत साबित करके टीम को विश्व कप दिलाता है और यह जीत उसके अतीत के कई घावों पर मरहम भी लगा जाती है। मजूमदार ने फाइनल में जीत के बाद कहा, ‘मैंं उनसे (भारतीय खिलाड़ियों) यही कहता था कि हम हार नहीं रहे हैं। बस उस बाधा को पार करने से चूक जा रहे हैं। हम उन तीनों मैचों (लीग चरण में दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ मैच) में काफी प्रतिस्पर्धी रहे और ये सभी मैच काफी करीबी थे।’ दो साल पहले टीम के कोच बने मजूमदार की नजरें हमेशा से इस विश्व कप पर थीं, लेकिन तब यह असंभव सा लग रहा था, क्योंकि भारतीय महिला क्रिकेट कठिन दौर से गुजर रहा था। खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं थी, लेकिन नतीजे नहीं मिल रहे थे। टीम के भीतर गुटबाजी, विश्वास की कमी और अनुशासनहीनता की भी खबरें गाहे बगाहे आ रही थीं। सबसे पहले उन्होंने अपनी टीम का भरोसा जीता। सभी खिलाड़ियों से स्पष्ट संवाद रखा। अच्छे प्रदर्शन पर पीठ थपथपाई तो बुरे दौर में साथ खड़े दिखे। आलोचनाओं के बीच अपने खिलाड़ियों के लिये ढाल बनकर खड़े नजर आये और यहीं से नींव पड़ी विश्वास के ऐसे रिश्ते की जिसकी परिणिति विश्व कप ट्रॉफी के रूप में ‘गुरुदक्षिणा’ के साथ हुई। पूरे टूर्नामेंट में टीम एकजुट नजर आई। खिलाड़ी एक दूसरे की सफलता का जश्न मनाते और कठिन दौर में एक दूसरे का सहारा बने दिखे।
‘रहेगा सब से ऊपर,
हमारा तिरंगा’
नवी मुंबई (एजेंसी) : भारतीय क्रिकेट टीम का कभी कोई थीम गीत नहीं रहा, लेकिन स्टेडियमों में ‘चक दे इंडिया’ और ‘सुनो गौर से दुनिया वालो’ या फिर ‘लहरा दो सरजमीं का परचम’ जैसे गीत बजते रहे हैं। मगर, विश्व कप जीतने के बाद भारतीय महिला क्रिकेट टीम, कोच और सहयोगी स्टाफ जब बाईस गज की पिच के आसपास घेरा बनाकर खेड़े हुए तो पहली बार एक ‘विजय गीत’ सुनाई दिया। पूरी टीम ने ‘रहेगा सब से ऊपर, हमारा तिरंगा। हम हैं टीम इंडिया’ गाया तो रोंगटे खड़े हो गए। मुख्य कोच अमोल मजूमदार की आवाज दूर से सुनाई दे रही थी। सभी ने मिलकर गाया,‘साथ में चलेंगे, साथ में उठेंगे, हम हैं टीम इंडिया, साथ में जीतेंगे।’ स्टेडियम से दर्शकों के जाने के बाद भारतीय टीम ने यह गीत गाया।
खुशी में छलक उठी
मां की आंखें
शिमला (ट्रिन्यू) : जब भारत ने महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप की ट्रॉफी उठाई, उस पल शिमला जिले के रोहड़ू की पहाड़ियों में आतिशबाजी की जगह जयकारों की गूंज सुनाई दी। गांव पारसा में हर आंख में गर्व था और हर दिल में एक ही नाम-रेणुका ठाकुर। रेणुका की मां सुनीता ठाकुर ने भावुक होकर कहा कि भगवान हर किसी को रेणुका जैसी बेटी दे। सुनीता ठाकुर अब अपनी बेटी की सफलता को पूरे गांव के साथ साझा कर रही हैं। उन्होंने बताया कि आज हम पूरे गांव के लिए दावत रख रहे हैं। सब आएंगे, नाटी होगी, डीजे बजेगा और हम सब मिलकर इस खुशी को मनाएंगे।
रेणुका ठाकुर को हिमाचल सरकार देगी 1 करोड़
शिमला (हप्र) : महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारत की ऐतिहासिक जीत के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रदेश की तेज गेंदबाज रेणुका ठाकुर को एक करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रेणुका को फोन कर उनके शानदार प्रदर्शन और भारत की जीत पर बधाई दी। सुक्खू ने कहा कि क्रिकेट एसोसिएशन निश्चित रूप से उन्हें पुरस्कृत करेगी, लेकिन चूंकि वे हिमाचल का प्रतिनिधित्व करती हैं, इसलिए राज्य सरकार भी उन्हें एक करोड़ रुपये का सम्मान देगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रदेश के लोग रेणुका की वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। रेणुका के एक सवाल पर उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार उन्हें उपयुक्त नौकरी देने पर भी विचार करेगी।
