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Ambedkar Statue Ruckus : लखनऊ में हंगामा... जबरदस्ती लगाई आंबेडकर प्रतिमा, पुलिस पर किया पथराव

उत्तर प्रदेश: लखनऊ में आंबेडकर प्रतिमा स्थापना को लेकर हंगामा, मौके पर पुलिस बल तैनात

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लखनऊ, 12 अप्रैल (भाषा)

Ambedkar Statue Ruckus : उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले के एक गांव में शनिवार को सरकारी जमीन पर बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर दो समूहों के बीच हुए विवाद के बाद तनाव बढ़ गया। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस के मुताबिक, घटना जिला मुख्यालय से करीब 36 किलोमीटर दूर बख्शी का तालाब (बीकेटी) क्षेत्र में स्थित मवई खत्री गांव में हुई।

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पुलिस ने बताया कि विरोध की शुरुआत उस समय हुई जब ग्रामीणों द्वारा हाल ही में स्थापित की गयी आंबेडकर प्रतिमा को हटाने की संभावना के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। पुलिस के मुताबिक, प्रतिमा को तीन दिन पहले एक प्राथमिक विद्यालय के सामने कथित तौर पर स्थापित किया गया था। सैकड़ों की संख्या में एकत्रित लोगों ने नारेबाजी की और प्रतिमा को वहीं रखने की मांग की।

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एक अधिकारी ने बताया कि जब पुलिस बीच-बचाव करने के लिए मौके पर पहुंची तो स्थिति और बिगड़ गयी तथा प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर पथराव किया, जिसमें छह पुलिसकर्मी घायल हो गए। उन्होंने बताया कि जवाब में पुलिस ने उत्तेजित भीड़ को तितर-बितर करने के प्रयास में आंसू गैस के गोले दागे। अधिकारी ने बताया कि शुरुआती झड़प के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उत्तरी क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) गोपाल चौधरी और प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) सहित 12 थानों के पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक योगेश शुक्ला प्रदर्शनकारियों को शांत करने के प्रयास में गांव पहुंचे। एक अधिकारी ने बताया कि देर शाम तक स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों के बीच सहमति बन गई और इस समझौते के अनुसार, मूर्ति अभी अपनी जगह पर रहेगी, लेकिन अस्थायी उपाय के तौर पर उसे कपड़े से ढक दिया जाएगा। पुलिस उपायुक्त चौधरी ने बताया, “वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है और सामान्य हो रही है।”

स्थानीय लोगों के अनुसार, विवाद गांव के दो गुटों के बीच है क्योंकि एक समूह ने कथित तौर पर प्रशासन से पूर्व अनुमति लिए बिना ग्राम समाज की जमीन पर मूर्ति स्थापित कर दी जबकि दूसरे समूह ने विरोध प्रदर्शन किया और इस कदम पर आपत्ति जताई। प्रतिमा को स्थापित किये जाने का विरोध करने वाले ग्रामीणों ने दावा किया कि ग्राम प्रधान के कहने पर रात में चुपचाप मूर्ति स्थापित की गई।

उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस जमीन का इस्तेमाल पहले मेलों और विवाह समारोहों जैसे सामुदायिक कार्यक्रमों के लिए किया जाता था। वहीं दूसरे समूह का दावा है कि प्रतिमा की स्थापना नौ अप्रैल को ग्राम प्रधान की सहमति से और ग्रामीणों की मौजूदगी में की गयी थी और उप जिलाधिकारी (एसडीएम) को पहले से इसकी जानकारी दी गयी थी।

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