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Amarnath Yatra 2025 : आतंकी साया भी नहीं रोक सका शिवभक्तों की आस्था, डर को हराकर पहलगाम की ओर बढ़े श्रद्धालु

आतंकी हमले के बावजूद अमरनाथ तीर्थयात्रियों ने पहलगाम मार्ग चुना, कहा: हम आतंकवादियों से डरते नहीं
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अनिल भट्ट/जम्मू, 1 जुलाई (भाषा)

Amarnath Yatra 2025 : पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भयावह आतंकवादी हमले का असर इस वर्ष अमरनाथ यात्रा पर पड़ने की आशंकाओं को दरकिनार करते हुए देश के विभिन्न भागों से सैकड़ों तीर्थयात्री पहले दिन पंजीकरण केन्द्र पर कतारों में खड़े दिखायी दिए। ग्याहरवीं बार बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए जा रहे मुंबई निवासी दिवाकर कदम ने कहा, "गोली और बम हमें बाबा बर्फानी के दर्शन करने से नहीं रोक सकते।"

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जम्मू रेलवे स्टेशन के निकट सरस्वती धाम पंजीकरण केंद्र पर पंजीकरण के पहले दिन लोगों की भीड़ देखी गई और वहां उपस्थित कई लोगों ने बढ़ती भीड़ को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों को करारा जवाब बताया। आतंकियों ने 22अप्रैल को किए गए हमले में विशेष धर्म के लोगों की पहचान करके पहलगाम में 26 लोगों (जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे) की गोली मारकर हत्या कर दी थी। "बम बम बोले" और "जय बाबा बर्फानी" के नारों के बीच तीर्थयात्री टोकन पाने की प्रतीक्षा करते दिखायी दिए जिनमें से कई ने कहा कि वे 22 अप्रैल के आतंकवादी हमले में अपनी जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देने के लिए पहलगाम मार्ग से अमरनाथ की तीर्थयात्रा कर रहे हैं।

कदम ने कहा, "हम बहुत उत्साहित हैं। हमारे 26 सदस्यों का समूह बेहद खुश है, और हम अमरनाथ जी के दर्शन करने वाले पहले जत्थे का हिस्सा बनना चाहते हैं। हमें कोई डर नहीं है।" उन्होंने कहा, "चाहे कुछ भी हो जाए, अमरनाथ यात्रा के लिए देशभर के लोगों का उत्साह कम नहीं हो सकता। हर कोई आएगा और दर्शन करेगा।" दक्षिण कश्मीर हिमालय में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर की 38 दिवसीय तीर्थयात्रा तीन जुलाई को दो मार्गों से शुरू होगी। इसमें अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबा नुनवान-पहलगाम मार्ग और गांदरबल जिले में 14 किलोमीटर लंबा बालटाल मार्ग है।

प्राधिकारियों ने यात्रा के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है। तीर्थयात्रियों का पहला जत्था दो जुलाई को जम्मू स्थित भगवती नगर आधार शिविर से कश्मीर के लिए रवाना होगा। समूह की एक अन्य सदस्य मुमता देशमुख ने बताया कि वह कल देर रात यहां पहुंचे और मौके पर पंजीकरण के लिए टोकन लेने के लिए सुबह से ही कतार में खड़े थे। उन्होंने कहा, "इस बार यह सिर्फ बाबा बर्फानी के दर्शन की तीर्थयात्रा नहीं है, बल्कि पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने का भी अवसर है।" उन्होंने कहा, "पहलगाम से यात्रा शुरू करके हम आतंकवादियों को संदेश दे रहे हैं कि हम उनसे डरते नहीं हैं।" कदम ने कहा कि यह उनकी 11वीं तीर्थयात्रा है।

उन्होंने कहा, "हम ऐसे हमलों के आगे न तो रुकेंगे और न ही झुकेंगे। चाहे गोलियां चलें या बम फटें, हम निश्चित रूप से बाबा के दर्शन करेंगे। हम उनसे (आतंकियों) डरते नहीं हैं। हम प्रतिज्ञा करते हैं कि हम भविष्य की हर यात्रा के पहले जत्थे में शामिल होते रहेंगे।" तीर्थयात्रा के लिए 95 लोगों के समूह के साथ आई कोलकाता की सरिता घोष ने कहा कि पिछले वर्षों की तुलना में इस बार श्रद्धालुओं में उत्साह अधिक है। उन्होंने कहा, "इससे साफ पता चलता है कि लोग डर फैलाने की कोशिश करने वालों को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं। मेरा मानना ​​है कि पिछले साल की तुलना में इस बार दोगुनी संख्या में लोग आएंगे और डर परास्त होगा।"

घोष ने कहा कि सभी ने पहलगाम मार्ग अपनाने का फैसला किया है, खास तौर पर आतंकी हमले के मद्देनजर। उन्होंने कहा, "यह उन लोगों के प्रति हमारी श्रद्धांजलि होगी जो वहां मारे गए, यह आतंकवाद के खिलाफ हमारी प्रतिज्ञा होगी।" असम के निरोहुतम कुमार ने कहा कि आतंकवादी हमला उन्हें तीर्थयात्रा करने से नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा, "पहलगाम में जो हुआ वह दुखद था, लेकिन यह हमें डरा नहीं सकता। हम पूरी आस्था के साथ बाबा के दर्शन करने जा रहे हैं। यह हमारी वार्षिक प्रतिबद्धता है। कोई भी हमारे अंदर मौत का डर नहीं पैदा कर सकता।"

उन्होंने कहा कि लोगों को बड़ी संख्या में आना चाहिए। उन्होंने कहा, "इससे हमारे सैनिकों का मनोबल भी बढ़ेगा।" काशी से 25 लोगों समेत 30 सदस्यीय समूह में शामिल सूरत के बिगीरथ शर्मा ने कहा, "क्या आपको यहां लोगों में कोई डर दिखाई देता है? कम से कम 30,000 लोग आज यहां सिर्फ टोकन लेने के लिए खड़े हैं और यह तो केवल पहला दिन है।" शर्मा ने कहा, "देशभर से इतनी बड़ी भीड़ इस बात का सबूत है कि कोई भी डरा हुआ नहीं है। वास्तव में यह आतंकवादियों को करारा जवाब है कि हम डरेंगे नहीं, हम पीछे नहीं हटेंगे।"

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