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Amarnath Temple Donation : अमरनाथ में भक्तों की दरियादिली ने तोड़े रिकॉर्ड, दान में 100 गुना इजाफा

कोविड प्रतिबंध हटने के बाद अमरनाथ मंदिर में नकद दान 100 गुना बढ़ाः आरटीआई

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Amarnath Temple Donation : कोविड महामारी प्रतिबंध समाप्त होने के बाद फिर से शुरू हुई वार्षिक अमरनाथ यात्रा में शामिल हुए तीर्थ यात्रियों ने दिल खोलकर दान दिया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार दक्षिण कश्मीर हिमालय में करीब 3880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गुफा मंदिर में कोविड के बाद से नकद दान में करीब 100 गुना की वृद्धि हुई है।

जम्मू स्थित आरटीआई कार्यकर्ता रमन कुमार शर्मा द्वारा दायर सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन के जवाब में ‘श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड' (एसएएसबी) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, नकद दान और चढ़ावा 2020-21 की 9.23 लाख रुपये की धनराशि के मुकाबले 2025-26 में 9.75 करोड़ रुपये हो गया है। नकद चढ़ावा वर्ष 2024-25 में सबसे अधिक (11.58 करोड़ रुपये) मिला। जबकि 2023-24 में यह राशि 11.15 करोड़ रुपये थी। वर्ष 2020 और 2021 में लागू कोविड़ प्रतिबंध हटाए जाने के बाद वर्ष 2022 में वार्षिक अमरनाथ यात्रा में देशभर से करीब तीन लाख श्रद्धालु शामिल हुए। इसके बाद वर्ष 2023 में यह आंकड़ा 4.5 लाख जबकि 2024 में 5.1 लाख रहा। इस वर्ष इस वार्षिक यात्रा में करीब 4.1 लाख तीर्थयात्रियों ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए।

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वर्ष 2025 में तीन जुलाई को यात्रा शुरू हुई जिसे यात्रा मार्गों की मरम्मत के लिए एक सप्ताह पहले समाप्त कर दिया गया। इस गुफा मंदिर में प्राकृतिक रूप से निर्मित बर्फ के शिवलिंग के दर्शनों के लिए वार्षिक यात्रा आमतौर पर जुलाई-अगस्त में शुरू होती है। एसएएसबी के मुख्य लेखा अधिकारी के अनुसार, नकद दान और चढ़ावे के रूप में गुफा मंदिर को प्राप्त धनराशि इस प्रकार है: 2020-21 में 9.23 लाख रुपये, 2021-22 में 12.29 लाख रुपये, 2022-23 में 9.14 करोड़ रुपये, 2023-24 में 11.16 करोड़ रुपये, 2024-25 में 11.59 करोड़ रुपये और 2025-26 में 9.75 करोड़ रुपये।

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आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि पारंपरिक नकद चढ़ावे की ओर फिर से रुझान बढ़ा है जबकि महामारी के दौरान अस्थायी रूप से बढ़ी हुई ऑनलाइन दान की राशि पिछले वर्ष की तुलना में तेजी से घटी है। ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त दान और चढ़ावा 2020-21 में 77.09 लाख रुपये, 2021-22 में 1.46 करोड़ रुपये, 2022-23 में 2.39 करोड़ रुपये, 2023-24 में 1.55 करोड़ रुपये, 2024-25 में 1.89 करोड़ रुपये और 2025-26 में 80.64 लाख रुपये रहा।

तीर्थयात्रियों से प्राप्त पंजीकरण शुल्क में भी भारी वृद्धि दर्ज की गई, जो 2020-21 और 2021-22 में 0.12 लाख रुपये से बढ़कर 2022-23 में चार करोड़ रुपये, 2023-24 में 5.56 करोड़ रुपये, 2024-25 में 5.35 करोड़ रुपये और 2025-26 में 7.71 करोड़ रुपये हो गया। अधिकारियों ने इस भारी वृद्धि का श्रेय कोविड-19 प्रतिबंधों के दो साल बाद यात्रा के पूर्ण रूप से फिर से शुरू होने, बेहतर बुनियादी ढांचे और पंजीकृत तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या को दिया। ‘श्राइन बोर्ड' ने नकद दान, ऑनलाइन चढ़ावा और तीर्थयात्री पंजीकरण शुल्क के विस्तृत आंकड़े तो दिए हैं लेकिन आभूषण, सोना, चांदी और अन्य कीमती रत्नों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।

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