साध्वी प्रज्ञा और पुरोहित समेत सभी सातों आरोपी बरी
मालेगांव विस्फोट में छह लोगों की मौत होने के करीब 17 साल बाद एक विशेष अदालत ने भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सातों आरोपियों को बृहस्पतिवार को बरी करते हुए कहा कि उनके खिलाफ कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं हैं। अदालत ने कहा कि कोई भी धर्म हिंसा नहीं सिखाता। उसने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन अदालत सिर्फ धारणा के आधार पर दोषी नहीं ठहरा सकती। एनआईए के मामलों की सुनवाई के लिए यहां नियुक्त विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने अभियोजन पक्ष के मामले और जांच में कई खामियों को उजागर किया और कहा कि आरोपी व्यक्ति संदेह का लाभ पाने के
हकदार हैं।
अदालत ने जैसे ही आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया तो उन सभी के चेहरों पर मुस्कान आ गयी। जज ने फैसला पढ़ते हुए कहा, ‘कुल मिलाकर सभी साक्ष्य अभियुक्तों को दोषी ठहराने के लिए विश्वसनीय नहीं हैं। दोषसिद्धि के लिए कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं है।’’ अदालत ने कहा कि इस मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधान लागू नहीं होते। अदालत ने यह भी कहा कि यह साबित नहीं हुआ है कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल प्रज्ञा के नाम पर पंजीकृत थी, जैसा कि अभियोजन पक्ष ने दावा किया था। उसने कहा कि यह भी साबित नहीं हुआ है कि विस्फोट कथित तौर पर मोटरसाइकिल पर लगाए गए बम से हुआ था। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाह पेश किए, जिनमें से 37 मुकर गए।
यह है मामला
मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर लगाए गए विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गयी थी और 101 अन्य लोग घायल हो गए थे। इस मामले के आरोपियों में ठाकुर, पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे।
घटनाक्रम
n 29 सितंबर, 2008 : मालेगांव में विस्फोट, 6 लोगों की मौत
n 30 सितंबर, 2008 : एफआईआर
n अक्तूबर, 2008 : महाराष्ट्र एटीएस ने जांच अपने हाथ में ली। प्रज्ञा ठाकुर, ले. कर्नल प्रसाद पुरोहित गिरफ्तार।
n 30 जनवरी, 2009 : एटीएस द्वारा 11 आरोपियों के खिलाफ 4000 पृष्ठों का आरोपपत्र दायर।
n अप्रैल 2011 : जांच औपचारिक रूप से एनआईए को हस्तांतरित।
n मई 2013 : एनआईए ने पूरक आरोपपत्र दायर किए और सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए प्रज्ञा ठाकुर और तीन अन्य को क्लीन चिट दे दी। हालांकि, ठाकुर के खिलाफ मुकदमा जारी रखने
का आदेश।
n अक्तूबर 2018 : सात आरोपियों के खिलाफ आरोप तय ।
n अप्रैल-मई 2025 : अंतिम बहस। 8 मई को 31 जुलाई तक फैसला सुरक्षित।
n 31 जुलाई, 2025 : सभी आरोपी बरी