ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
नयी दिल्ली, 7 अप्रैल (एजेंसी)
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इससे पहले, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस मुद्दे पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) नेता असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद तथा आप के विधायक अमानतुल्ला खान सहित अन्य की याचिका पर विचार करने और उसे तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को शनिवार को मंजूरी दे दी थी, जिसे संसद के दोनों सदनों ने पारित कर दिया था। एआईएमपीएलबी ने छह अप्रैल को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता एसक्यूआर इलियास ने कहा कि याचिका में संसद द्वारा पारित संशोधनों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा गया है कि ये मनमाने, भेदभावपूर्ण और बहिष्कार पर आधारित हैं। संशोधनों से न केवल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, बल्कि इससे सरकार की वक्फ के प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण रखने की मंशा भी स्पष्ट हो गई है। बयान में कहा गया है कि केंद्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड के सदस्यों के चयन के संबंध में संशोधन अधिकारों से वंचित किए जाने का स्पष्ट प्रमाण है।
उधर, द्रमुक और कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। शीर्ष अदालत में अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली अब तक 10 से अधिक याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं।