मुंबई, 26 दिसंबर (एजेंसी)
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दल कांग्रेस ‘कमजोर और बिखरी हुई’ है। उसने सुझाव दिया कि शिवसेना सहित सभी भाजपा विरोधी दलों को मजबूत विकल्प प्रदान करने के लिए यूपीए के बैनर तले एकजुट होना चाहिए। उसने कहा कि केंद्र में जो लोग वर्तमान में सत्तारूढ़ हैं, वे किसान प्रदर्शन के प्रति उदासीन हैं और ‘निष्प्रभावी’ विपक्ष सरकार की इस उदासीनता के पीछे की मुख्य वजह है। सामना ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार पर दोषारोपण करने के बजाय मुख्य विपक्षी दल को अपने नेतृत्व के मुद्दे को लेकर आत्मावलोकन करना चाहिए। शिवसेना के मुखपत्र ने कहा, ‘राहुल गांधी व्यक्तिगत रूप से कड़ी टक्कर दे रहे हैं, लेकिन कुछ कमी रह जा रही है… कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की वर्तमान स्थिति एक एनजीओ की भांति है। यहां तक कि संप्रग के घटकों ने भी किसान प्रदर्शन को गंभीरता से नहीं लिया।’ उसने कहा, ‘राकांपा प्रमुख शरद पवार राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग हस्ती हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी अकेले लड़ाई लड़ रही हैं। देश के विपक्षी दल को इस घड़ी में उनके साथ खड़ा रहना चाहिए। ममता बनर्जी ने बस पवार से संपर्क किया और वह बंगाल जा रहे हैं। लेकिन यह कांग्रेस के नतृत्व में होना चाहिए था।’ मराठी दैनिक ने कहा, ‘तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, अकाली दल, बहुजन समाज पार्टी, आखिलेश यादव, जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस, तेलंगाना के के चंद्रशेखर राव, ओड़िशा के नवीन पटनायक, कर्नाटक के एच डी कुमारस्वामी सभी भाजपा के विरोधी हैं, लेकिन वे कांग्रेस नीत संप्रग का हिस्सा नहीं हैं। जब तक वे संप्रग के साथ नहीं जुड़ते हैं तबतक विपक्ष मजबूत विकल्प नहीं दे सकता।’ उसने कहा, ‘(कृषि कानून पर विरोध मार्च के दौरान) दिल्ली में प्रियंका गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया, राहुल गांधी का भाजपा ने सार्वजनिक रूप से उपहास किया, महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार को काम नहीं करने दिया जाता है, भाजपा नेता ऑन रिकार्ड कहते हैं कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार को गिराने में प्रधानमंत्री की भूमिका अहम थी। यह सब लोकतंत्र के लिए अच्छी बात नहीं है।’