अल फ्लाह के छात्रों को बदनामी का डर, खाली हो रहा कैंपस
हालांकि, विश्वविद्यालय खुद को निर्दोष बताते हुए इस बात पर जोर दे रहा है कि हमले के मास्टरमाइंड डॉक्टरों के साथ उसका सिर्फ पेशेवर रिश्ता था, लेकिन छात्रों और शिक्षकों का कहना है कि वे खुद को बदनाम महसूस कर रहे हैं और इस उथल-पुथल से जल्दी बाहर निकलना चाहते हैं।
सूत्रों का दावा है कि विश्वविद्यालय कक्षाओं को जारी रखने और छात्रों को हॉस्टल में रोकने की कोशिश कर रहा है, लेकिन ज्यादातर छात्र शादी, माता-पिता की बीमारी या चिकित्सा आपात स्थिति जैसे निजी कारणों का हवाला देकर ‘भाग’ रहे हैं।
एमबीबीएस के तीसरे साल की एक छात्रा ने कहा, ‘मैं सदमे में हूं। मैं ही जानती हूं कि मेरे माता-पिता ने यहां सीट के लिए कैसे फीस भरी। अब विश्वविद्यालय मुश्किल में है और कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही इसे सील कर दिया जाएगा। इन सबके बीच, प्लेसमेंट एक दूर का सपना लगता है और मान्यता संकट के चलते डिग्री मिलना भी अनिश्चित लग रहा है। जांच एजेंसियां रोज आती हैं और हमारी बातचीत पर नजर रखी जा रही है। मैंने अपने माता-पिता को घर ले जाने के लिए फोन किया है।’
छात्रों का दावा है कि विश्वविद्यालय चुप्पी साधे हुए है और उन्हें इस बारे में कोई सूचना नहीं मिल रही कि आगे क्या हो सकता है। भ्रम और भय से ग्रस्त, 65 प्रतिशत से ज्यादा छात्र कथित तौर पर कक्षाओं में नहीं आ रहे और घर जा चुके हैं, हालांकि विश्वविद्यालय ने इन आंकड़ों की पुष्टि नहीं की है।
राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) ने उसके सर्वेक्षणों में भाग लिए बिना अपने दो संस्थानों के लिए ग्रेड ए मान्यता का दावा करने के लिए विश्वविद्यालय को पहले ही कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. ध्रुव चौहान ने कहा, ‘हमें निर्दोष छात्रों का भविष्य सुरक्षित करना होगा। इसकी पूरी जांच होनी चाहिए और जो इसमें शामिल नहीं हैं, उन्हें दूसरे कॉलेजों में भेजा जाना चाहिए। उन्हें दूसरों के कर्मों का खामियाजा नहीं भुगतना चाहिए और न ही अपनी डिग्री प्रभावित होने के डर में जीना चाहिए।’
अपने बच्चे को लेने आये श्रीनगर के 57 वर्षीय अभिभावक ने कहा, ‘मेरे बच्चे को पेड सीट मिली थी और आज हम असमंजस में हैं। हम विश्वविद्यालय के दिल्ली स्थित मुख्यालय गए, लेकिन कोई भी हमारी चिंताओं का समाधान करने को तैयार नहीं है। मेरा बच्चा प्रथम वर्ष में है और मैंने सीट के लिए मोटी रकम चुकाई है। हम कश्मीरी हैं। यह घटना और संस्थान उसे जीवन भर के लिए बदनामी देगा। भले ही उसका एक साल खराब हो जाये, हम उसे यहां नहीं रहने देंगे।’
74 लाख रुपये फीस
विश्वविद्यालय में प्रत्येक बैच में 200 छात्र हैं और कोर्स फीस लगभग 74 लाख रुपये है। न केवल छात्र, बल्कि फैकल्टी सदस्य भी सम्मानजनक तरीके से बाहर निकलने की उम्मीद कर रहे हैं। एक डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘मैंने आसपास के सभी अस्पतालों और कॉलेजों में आवेदन किया, लेकिन अब सब कह रहे हैं कि अल फ्लाह वालों को नौकरी पर नहीं रखेंगे। मैं इस्तीफा देकर फिलहाल अपने घर पर ही क्लिनिक चलाऊंगा।’
