अखिलेश ने उठाए SIR पर सवाल, विधानसभा चुनाव में 'वोट चोरी की तैयारी' का लगाया आरोप
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राज्य में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि राज्य में अगले विधानसभा चुनाव से 427 दिन पहले ही 'वोट चोरी, डकैती और बेईमानी' की तैयारी की जा रही है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया में ईआरओ (निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी) स्तर का कोई भी अधिकारी 'पीडीए ' (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) समुदाय का नहीं है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि जब ईआरओ आपकी बात नहीं सुनेगा तो मतदाता सूची कैसे ठीक होगी? इसका मतलब 2027 के विधानसभा चुनाव के 427 दिन पहले ही यह लोग वोट चोरी, डकैती की बेईमानी की तैयारी कर रहे हैं। अयोध्या में समाजवादी पार्टी के पदाधिकारी ने जब 2003 की मतदाता सूची मांगी तो पाया कि उसमें कुछ है ही नहीं। अगर इस तरह का दस्तावेज बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) के पास होगा तो वह क्या काम करेगा।
मुझे लगता है कि निर्वाचन आयोग ही एसआईआर के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है। जब एक जगह इतनी शिकायत मिली हैं तो न जाने ऐसी कितनी जगह पर ऐसी शिकायतें होगी। हम निर्वाचन आयोग को लिखित में देंगे कि जो मतदाता सूची उपलब्ध कराए उसमें नाम पढ़े जा सकें। उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा पर चुनाव में धांधली के लिए अधिकारियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और कहा कि जब विधान परिषद की स्नातक और शिक्षक क्षेत्र निर्वाचन के वोट बन रहे थे तब अधिकारी पूरी तरह से भाजपा के कार्यकर्ता बनकर काम कर रहे थे।
उन्होंने दावा किया कि अयोध्या में चुनाव कराने वाले एक अधिकारी को "मुख्यमंत्री कार्यालय से सीधे निर्देश मिल रहे थे। यादव ने आरोप लगाया कि अयोध्या में स्थानीय नेताओं और अधिकारियों ने मुझे बताया कि पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारियों की इस प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं है। उस अधिकारी से वादा किया गया था कि अगर वह सपा की हार सुनिश्चित कर देगा, तो उसके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच बंद कर दी जाएगी। हाईकोर्ट ने अब एक ऐसा फैसला दिया है जिसमें "वह अधिकारी फंस गया है।"
