Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

Ajab Gajab : जब की गई थी ताजमहल की नीलामी! अंग्रेजों ने तोड़ दिया था संगमरमर का एक हिस्सा

ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार ने 1830 के दशक में ताजमहल को बेचने का प्रयास किया था
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

चंडीगढ़, 28 दिसंबर (ट्रिन्यू)

दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल की खूबसूरती देखने के लिए टूरिस्ट देश ही नहीं विदेश से भी आते हैं। प्यार की निशानी कहे जाने वाला ताजमहल का निर्माण शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के लिए बनवाया था। मगर, क्या आप जानते हैं कि ताजमहल को बेचने तक की कोशिश की जा चुकी है। यही नहीं, दो बार नीलामी करने के बाद सेठ लक्ष्मीचंद ने इसे खरीद भी लिया था।

Advertisement

जी हां, ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार ने 1830 के दशक में ताजमहल को बेचने का प्रयास किया था। कहा जाता है कि ब्रिटिश गवर्नर विलियम बेंटिग ने अखबारों में ताजमहल की नीलामी का इश्तहार निकलवाया था। बेंटिग ने ताजमहल का एक हिस्सा तोड़कर उसके संगमरमर की बोली लगाई गई थी। बेंटिक ने तोप की ढलाई के लिए धन जुटाने के लिए स्मारक की नीलामी का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, इस योजना को भारतीय रईसों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा और अंततः इसे छोड़ दिया गया।

1831 में, ब्रिटिश सरकार ने ताजमहल को नष्ट करने के लिए बोलियां आमंत्रित कीं। मथुरा के सेठ लक्ष्मीचंद सबसे ऊंची बोली लगाने वाले के रूप में उभरे, जिन्होंने 2 लाख रुपए की पेशकश की। हालांकि, बोली को बहुत कम बताकर खारिज कर दिया गया।

इसके कुछ महीने बाद दूसरी नीलामी आयोजित की गई, जिसमें सेठ लक्ष्मीचंद फिर से 7 लाख रुपए की पेशकश के साथ विजेता के रूप में उभरे। हालांकि, ब्रिटिश समुदाय में आक्रोश और सांप्रदायिक दंगों के डर के कारण वास्तविक बिक्री कभी नहीं की गई।

यह मिथक कि ब्रिटिश ताजमहल को बेचना चाहते थे, सैन्य हलकों में फैल गया और ब्रिटिश राजधानी कलकत्ता तक पहुंच गया। अंग्रेजी भाषा के प्रेस में इस कहानी को और बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। इस वजह से उन्होंने नीलामी रोक दी लेकिन ताजमहल में से निकला बाथटब आज भी लंदन में मौजूद है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। Dainiktribuneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है

Advertisement
×