नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (एजेंसी)
दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की चिकित्सकीय जांच करने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया। बोर्ड यह तय करेगा कि केजरीवाल के रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन की जरूरत है या नहीं। साथ ही, बोर्ड उनके स्वास्थ्य संबंधी अन्य पहलुओं पर भी गौर करेगा। सीबीआई और ईडी मामलों की विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा की अदालत ने केजरीवाल द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंस की मदद से अपने चिकित्सक से परामर्श लेने के लिए दाखिल अर्जी को खारिज करते हुए यह आदेश सुनाया। उधर, दिल्ली हाईकोर्ट ने आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले की जांच के मामले में ईडी द्वारा केजरीवाल को जारी समन को चुनौती देने वाली उनकी याचिकाओं पर सुनवाई 15 मई के लिए सूचीबद्ध कर दी है।
तिहाड़ प्रशासन झूठ बोल रहा : केजरीवाल
केजरीवाल ने तिहाड़ जेल अधीक्षक को पत्र लिखकर दावा किया है कि वह अपना शुगर स्तर बढ़ने के बीच रोजाना इंसुलिन की मांग कर रहे हैं। केजरीवाल ने जेल अधिकारियों के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि एम्स के डॉक्टरों ने कहा है कि मुख्यमंत्री की सेहत के बारे में चिंता करने की कोई वजह नहीं है। आप के सूत्रों ने यह जानकारी दी। पत्र में केजरीवाल ने आरोप लगाया कि राजनीतिक दबाव में जेल प्रशासन झूठ बोल रहा है। तिहाड़ जेल के अधिकारियों से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।
याचिकाकर्ता पर 75 हजार जुर्माना : केजरीवाल को ‘असाधारण अंतरिम जमानत’ का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज, अदालत ने लगाया जुर्माना
दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल के लिए ‘असाधारण अंतरिम जमानत’ का अनुरोध करने वाली एक विधि छात्र की जनहित याचिका खारिज कर दी। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 75 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।