Agricultural Development Budget : हरियाणा में किसानों के लिए 870.53 करोड़ का बजट स्वीकृत, पराली वाले जिलों में CRM पर जोर
हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए 870.53 करोड़ रुपये का कृषि विकास बजट स्वीकृत किया है। यह फैसला सोमवार को चंडीगढ़ में मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में हुई राज्य स्तरीय अनुमोदन समिति (एसएलएससी) की बैठक में लिया गया।
बैठक का मकसद संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल कर खेती को अधिक टिकाऊ बनाना था। फसल अवशेष प्रबंधन पर 250 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इससे राज्यभर में लगभग 80 हजार से अधिक किसानों को पराली प्रबंधन मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे पराली जलाने की समस्या में कमी आएगी और खेत की उर्वरता सुरक्षित रहेगी। सरकार के ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ (पीडीएमसी) फार्मूले के के लिए 137.05 करोड़ रुपये दिए हैं। इसके तहत करीब 1.25 लाख हेक्टेयर भूमि पर ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सूक्ष्म सिंचाई तकनीक लागू की जाएगी।
अनुमान है कि इससे लगभग 1 लाख किसान परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा और पानी की 30-35 प्रतिशत तक बचत होगी। मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता सुधार कार्यक्रमों के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान है। इससे 5 लाख से ज्यादा मिट्टी परीक्षण होंगे और किसानों को फसल-वार उर्वरक उपयोग की वैज्ञानिक सलाह दी जाएगी। मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि हर खर्च किया गया रुपया खेत तक पहुंचे और किसान की लागत घटाए।
पुराने बजट का समायोजन
बैठक में यह भी निर्णय लिया कि 2022-23 और 2023-24 में पीडीएमसी घटक को 100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट दिया गया था। इसमें से 51.05 करोड़ रुपये कृषि मशीनीकरण उप-मिशन और 48.95 करोड़ रुपये फसल अवशेष प्रबंधन से ट्रांसफर किए गए थे। समिति ने इसे अब नियमित कर दिया। साथ ही, 2025-26 में सीआरएम योजना में 48.95 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वृद्धि और पीडीएमसी में उतनी ही कटौती करने की सिफारिश की गई।
टिकाऊ खेती की दिशा में कदम
बैठक में यह तय किया गया कि बजट का बड़ा हिस्सा जल संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन, मिट्टी की गुणवत्ता सुधार और नई कृषि तकनीक को अपनाने में लगाया जाएगा। इससे राज्य के किसानों की आमदनी बढ़ाने और खेती को ज्यादा टिकाऊ बनाने में मदद मिलेगी।